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एक न्यूज़-चैनल दर्शक की इच्छा !!!
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बचपन का प्यार
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वो बचपन, पुराने संगी-साथी
याद आती है उन पलों की,
जो कभी बिताए थे उनके साथ...
अनजान थी वो या था एक बचपना
कोई कुछ भी नाम दे उसे,
पर थी वो सबसे अलग सबसे ज़ुदा।
हमने गुजारे साथ-साथ कुछ पल
उन यादों के बहाने
वो रही मेरी धड़कनों में
सासों के बहाने।
जब भी ख़ुद को तन्हा और अकेला पाया,
चुपचाप-सी आई तुम मेरे पास,
एक विश्वास और प्रेरणा बन
इस जहां में जीने की एक आस के सहारे...
अनजानी राहें
लेकिन कुछ भी करता नहीं,
ललक सबसे आगे बढ़ने की,
पर मैं दौड़ता नहीं,
ये कौन बताए ज़माने को,
कि जीना ही सिर्फ़ मेरा मक़सद नहीं।
कभी- कभी तो ज़िंदगी भी नीरस लगती है,
पर सोचता हूं, उन ख़्वाबों का क्या?
जिन्हें यकीं है पूरा करने की...
सभी को मलूम हैं अपनी मंजिलें
और डगर है अनजान
फिर भी डर नहीं अनजानी राहों पर चलने की।
छोटी की पहली कविता
सवालों के घेरे में मीडिया
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वैलेन्टान डे १४ फरवरी, करगिल मालूम नहीं..
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सोच रहा हूं मैं....
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मन बोले राधा-राधा ना......
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ये हैं सरकारी नौकरी (अध्यापक) से सेवानिवृत, अब राधा सखी, कैलाशनाथ त्रिपाठी। इन्हें देखकर आपको एक और राधा आईजी पांडा की याद आ सकती है। जो पब्लिक की सेवा छोड़ कृष्ण की सेवा में रम गए। इस हिसाब से ये दूसरी राधा का ख़िताब पाने के वाजिब हक़दार हैं, लेकिन ये अपनी तुलना किसी से नहीं करना चाहते, कहते हैं... मैं तो बस कृष्ण की दीवानी हूं और उन्हीं की आराधना सेवा में अपनी जिंदगी बिताना चाहती हूं, तो इसमें बुराई क्या है ? अपने इस रूप को पब्लिसिटी-स्टंट कहे जाने पर बिफर पड़ते हैं...मैं कभी मीडिया के पास नहीं जाती, लोग मेरे पास आते हैं।
जी जनाब, तो ये हैं हमारे पांडा साहब के बाद की दूसरी राधा। कृष्ण की दीवानी राधा। कृष्ण के प्रेम में पागल राधा। कृष्ण के लिए सबकुछ कुर्बान करने वाली राधा। ये है राधा का देसी अंदाज़।
सहयोग....शुक्रवार
हरकत पुरानी, पैंतरा नया....
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तस्वीर बिहार की
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तमाशा दुनिया का
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एक खाब अधूरा-सा
हर चीज़ तो है पास पर किसी की तलाश क्यों है ?
न जाने किसकी तलाश में निकला था
वो दूर है हमसे, पर उसका एहसास हरपाल साथ क्यों है ?
फासला ज़मीन और आसमां के बीच है,
फ़िर भी आसमां ज़मीं की प्यास बुझाता क्यों है ?
शिद्दत से इंतजार करता हूँ ऐसा कह नहीं सकता
पर ये भी सच है बिना तेरी यादों की एक पल भी नहीं गुजरता ।
लेकिन अब लगता है वो रिश्ता भी कमजोर हो रहा है,
बिना तेरे ये दिल जीने को मजबूर हो रहा है ।
कब तक करे कोई इंतजार उस पल का
जब न हो बाकी कोई अरमां उसके हबीब का ।