मेहनतकश बच्चे, बड़े होकर देश का बोझ उठाने को तैयार
चलता-फिरता दुकान
आख़िर इन्हें भी तो भूख लगती है- सेल्फ-डिपेंडेड बच्चे
नई-दिल्ली स्टेशन पर गंदे पानी का बोतल बेचने पर मज़बूर लड़का
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हाल ही में संसद में शिक्षा का अधिकार बिल पारित हो गया और पिछले दिनों मैं अपने घर गया...आप सोच रहे होंगे कि इसका इन सबसे क्या नाता, तो बस आपको कुछ तस्वीरें दिखाना चाहता हूं, और आप पर छोड़ता हूं बाक़ी चीज़ों के लिए।
ये सारी तस्वीरें पंद्रह अगस्त के दिन खींची गई हैं, कुछ नई दिल्ली- स्टेशन तो कुछ पटना की हैं। ये उन्हीं ट्रेनें में पानी, पराग और कई चीज़े बेचते हैं। जिस ट्रेन से बड़े-बड़े अफ्सर और कभी-कभी कुछ नेता भी सफर करते हैं, वो भी ये सारी चीज़ें देखते हैं, लेकिन उनकी भी मज़बूरी है, वो क्या करें कहां तक और किस-किस की प्रॉब्लम दूर करते रहें।
शिक्षा का अधिकार क़ानून लागू हो जाएगा, क्या ये बच्चे उसे कभी पा सकेंगे, देश की मुख्य धारा में कभी शामिल हो भी सकेंगे, कोई आश्चर्य नहीं कल इसी में से कोई पॉकेटमार या उससे भी आगे कुछ और बन सकता है, आइएस बनने की गुंजाइश तो है नहीं....इनके ऐसे सुनहरे भविष्य के लिए क्या ज़िम्मेदार हम भी हैं, अगर जवाब आपके पास है तो , हमें भी बताइगा....
कहीं न कहीं कुछ प्रतिशत तक हम भी जिम्मेदार हैं
ReplyDeleteअनिल कान्त जी कहना बिल्कुल सही है, आखीर क्यों जब हम इन बच्चो को इस हालात मे देखते हैं तब अपनी नजरें क्यो छुपा लेते हैं। इसके बढने का सबसे बङा कारण यही है हमारी खामोशी । सच्चाई को उकेरती इक शानदार रचना,। बधाई
ReplyDeleteकाफी हद तक हम भी ज़िम्मेदार तो हैं ही कि हम अपनी आवाज़ नहीं उठाते ये सोचकर कि ये हमारे साथ नहीं हो रहा है, आपकी बातों से सहमत हुआ जा सकता है
ReplyDeleteहम ही ज्यादा जिम्मेदार है ........
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