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आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री का इस दुनिया से जाना वाकई एक दुखद और संवेदनशील घटना है। लेकिन इसे भी मीडिया ने तमाशा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ा। सबसे पहले तो इंडिया टीवी, सोच सकते हैं आप जिसके मैनेजिंग एडीटर किसी ख़बर पर बात करते हैं, उस ख़बर के कंफर्म करते हैं, वही ग़लत निकल जाती है। कुछ दिनों पहले रजत शर्मा को शायद इसीलिए बेस्ट एंटरप्रेन्योर का अवार्ड दिया गया था। आप अनुमान लगा सकते हैं, जिसके शीर्ष अधिकारी पत्रकार की ऐसी समझ है, वहां बाक़ियों की क्या हालत होगी राम जाने। उस पर सहारा समय का साथ देना और भी मज़ेदार है। ये सब यह साबित करते हैं कि आजकल किस तरह के पत्रकार तैयार हो रहे हैं। जी हां, पहले पत्रकारिता उनके रगों में होती थी अब कैसे होगी जब ख़ून ही नकली हो। ख़ैर हर बार की तरह इसबार भी मुझे माफ़ कीजिएगा। पहले सोचा करते थे, पत्रकारिता के क्षेत्र में आकर कुछ करेंगे। लेकिन धंधा बन चुकी इस पेशे में अब करने को कुछ रह नहीं गया। जितना मिर्च मसाला डालेंगे, स्वाद बढ़ता जाएगा। लेकिन ख़तरा यह भी है कि कहीं हाजमा ही न ख़राब हो जाए। ख़बरों के इस दौर में यदि कुछ करने की कोशिश भी करते हैं तो सावधान रहिएगा, ख़तरा है कहीं आप भी एक ख़बर न बन जाए।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस राजशेखर रेड्डी को श्रद्धाञ्जलि समर्पित करता हूँ ।
ReplyDeleteविचारणीय आलेख |
रेड्डी जी को श्रृद्धांजलि.
ReplyDeleteआलेख अच्छा है.
रेड्डी जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करता हू और पत्रकारिता के गिरते स्तर को एक पत्रकार की हैसियत से स्वीकार करता हूं।आपको भी इस दमदार पोस्ट के लिये सलाम करता हूं।
ReplyDeleteबिल्कुल ही सही कहा आपने ........मिडिया का बहुत ही अलग भुमिका होते जा रही है ............शर्मनाक है ....
ReplyDelete.......
रेड्डी जी को श्रृद्धांजलि.
ऐसी खबर से तो भगवान बचाए।
ReplyDeleteवैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।