बापू, तुम ऐसे क्यों थे !

आज बापू का जन्मदिन है। मतलब ड्राई डे। कम से कम सरकारी मतलब तो यही होता है। छुट्टियां ऊपर से बोनस में। मैं फिलहाल दिल्ली में हूं, तो बात दिल्ली की ही करूंगा। आज भी में ऑफिस आया। वह भी जल्दी। इसलिए नहीं कि जानबूझ कर। घर से तो चला था उसी टाइम पर, जिस पर मैं रोज़ चलता हूं। दरअसल, पहले पहुंचने की वजह यह है कि आज ट्रैफिक की भीड़भाड़ बिल्कुल नहीं थी। बस, सरपट सरपट तेज़ गति से चली जा रही थी। चारों तरफ़ सन्नाटा और सुनसान सड़कें। मतलब कम ट्रैफिक की वजह से आज जल्दी पहुंच गया।

ख़ैर, क्या आपने कभी सोचा है कि गांधी, गांधी क्यों थे। हो सकता है आपको ये थोड़ा अटपटा लगे। लेकिन इसमें बहुत बड़ा रहस्य छुपा हुआ है। वह भी आज के गांधी परिवार की। हमारे भविष्य के प्रधानमंत्री की। सबसे पहले आज का एक अजीब वाकया मैं आपको सुनाता हूं। आज मेरी मुलाक़ात एक ऐसे इंसान से हुई जिसे आप आम आदमी कह सकते हैं। मैंने गांधी जी की बात उनसे छेड़ दी। वह भी मेरे साथ न्यूज़ चैनल देखने में मशगूल थे। बापू की कुछ दुर्लभ तस्वीरें दिखाईं जा रही थीं, जो वाकई दुर्लभ थीं। मैं आश्चर्य कर रहा था कि कैसे एक इंसान बस एक धोती में अपनी ज़िंदगी गुजार सकता है। वह काम बापू ने किया। नेहरू की कांग्रेस पार्टी आज सादगी का खेल खेल रही है, लेकिन गांधी ने इसे दशकों तक जिया। (नेहरू की कांग्रेस पार्टी इसलिए क्योंकि गांधी उसे भंग कर जनता की सेवा में लगाना चाहते थे, पर नेहरू ने उसे अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा का अचूक हथियार बना लिया.) कैसे कोई बस सच बोलकर इतनी बड़ी क्रांति कर सकता है। कैसे दूसरों पर बग़ैर हाथ उठाए ही उसे परास्त कर सकता है। जब देश आज़ादी की जश्न मना रहा हो तो, वह इंसान जिसने वाक़ई में आज़ादी दिलाई हो, वह तब भी लोगों के ज़ख्म भरने का काम कर रहा हो। (जब सारा देश और आज़ादी की लड़ाई के ज़्यादातर अगुवा आज़ादी की ख़ुशिया मना रहे थे, उस वक़्त बापू हिंदू-मुस्लिम दंगे रोकने में लगे थे, उनकी सेवा और लोगों की जान बचाने का काम कर रहे थे। उस भीषण दंगे ने बापू अंदर तक हिला दिया था, ऐसी आज़ादी की उम्मीद तो कतई नहीं चाह रहे थे। जबकि नेहरू सहित कई पुरोधा सत्ता की बंदरबांट में लगे थे ) इन्हीं सब ख़ूबियों की वजह से गांधीजी मुझे एक विचित्र और एक अद्भुत शक्ति नज़र आते हैं। जिसे समझन के लिए बेहद सरल और साधरण समझ की ज़रूरत है। जिसे आज हम भूलते जा रहे हैं।


हां, तो मैं बात कर रहा था उस विचित्र वाकये की। मुझे उन्होंने बताया कि गांधी जल्दी चले गए, मतलब गोडसे ने मार दिया अच्छा हुआ। नहीं तो देश का और कबाड़ा कर दिया होता। ये सोच आज के टुवाओं की है,। लेकिन सोचने वाली बात है कि यदि कुछ लोग भी ऐसा सोचते हैं तो आख़िर क्यों...क्या ये भी गोडसे मानसिकता वाले लोग हैं। या फिर अब के संघी मिजाज़ वाले...या कहीं ये कांग्रेसी तो नहीं, जो बस गांधी के नाम को भुना कर आज भी सत्ता की चाबी अपने पास ही रखना चाहते हैं। जब राहुल गांधी ये बयान देते हैं कि आज भी आम लोगों तक १० पैसा भी नहीं आम लोगों तक नहीं पहुंचता तो मुझे शक़ होता है कि कांग्रेसी भी वही कर रहे हैं, जो बाक़ी संघी या गोडसे मानसिकता वाले लोग कर रहे हैं।


अगले अंक में आपके बताएंगे कि कैसे नेहरू का परिवार गांधी परिवार बना...........क्यों...क्या थी कहानी....मजबूरी थी....या कोई और वजह.........

2 comments:

  1. आज शास्त्री जी की भी जयंती होती है,कितने जानते है ??

    भारत माता के सच्चे 'लाल', लाल बहादुर शास्त्री जी को मेरा शत शत नमन !

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  2. महात्मा गांधी जी का जीवन हमारे लिए हमेशा प्रेरणा स्रोत रहेगा।

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