बाज़ार आज हर क्षेत्र में हावी है. आज दुनिया की सबसे बड़ी समस्या आतंकवाद है. आतंकवाद को यदि कैंसर मान लें तो इसने आज पूरी दुनिया को अपनी गिरफ्त में ले लिया है. लेकिन इस आतंकवाद पर भी बाज़ारवाद हावी है. नज़ीर के तौर पर भारत और पाकिस्तान के बीच आपसी संबंध शुरू से ही कटु रहे हैं. अभी हाल में मुंबई पर आतंकी वारदात के बाद दोनो के संबंध और भी बिगड़ गए. कुछ ऐसे ही हालात करगिल के समय में था. लेकिन इन दोनों मुल्कों के बीच व्यापारिक संबंधों में पूरी तरह शिथिलता कभी नहीं देखी गई. यानी आपसी कड़वाहट के बावजूद बाज़ार इनके संबंधों पर हावी रहा. यह बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि भारत दुनिया के उन सौ मुल्कों में शुमार हैं जिसके साथ पाकिस्तान के व्यापारिक रिश्ते हैं और भारत पाकिस्तान का नौवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है. इसका सीधा मतलब यह है कि पाकिस्तान जितना व्यापार फ्रांस, इटली, थाइलैंड ईरान और मलेशिया के साथ नहीं करता, उससे कहीं अधिक भारत के साथ करता है. तमाम आतंकी वारदात और बिगड़े संबंधों के बावजूद. एक तरह से कहा जाए कि इंसानियत भले ही आतंकवाद से न जीत पाई हो, बाज़ारवाद ने आतंकवाद से अपनी जंग फतह कर ली है.
हम सऊदी अरब और कुवैत से तेल का आयात करते हैं और इन देशों को इस सूची से बाहर रखा जाए तो भारत पाकिस्तान के साथ व्यापारिक मामलों में सातवां सबसे बड़ा साझीदार बन जाता है. एक तरफ़ तो दोनों मुल्क एक दूसरे को फूटी आंख भी देखना नहीं चाहते, यदि ऐसा नहीं है तो भी कभी कभी ऐसे हालात हो ही जाते हैं. लेकिन दूसरी ओर दोनों पड़ोसी मुल्क आपसी व्यापारिक रिश्तों में हमेशा नहीं तो ज़्यादातर टाईम मधुरता बनाए ही रखते हैं. कुछ बरस पहले एक फिल्म आई थी. गदर. अनिल शर्मा की. वही सन्नी देओल वाला. इसी फिल्म के दृश्य में एक पाकिस्तानी अधिकारी कहता है, हम पाकिस्तानी और हिंदुस्तानी भले ही एक-दूसरे के ख़ून के प्यासे हो, लेकिन हम पाकिस्तानी होकर भी हिंदुस्तानी पान खाना नहीं छोड़ते और हिंदुस्तानियों को भी हमारी चीनी की मिठास बहुत पसंद है.
दरअसल भारत और पाकिस्तान दोनों एक दूसरे के बेहद क़रीबी हैं. ऐतिहासिक और भौगोलिक तौर भी यह बात ज़ाहिर है. दोनों मुल्कों में सांस्कृति समानता काफी है. रहन-सहन और खान पान का तरीका भी काफी मेल खाता है. पाकिस्तानियों को अमिताभ बच्चन और शाहरूख ख़ान की फिल्में पसंद हैं तो हम भारतीयों को राहत फतेह अली खां का संगीत और जल, स्ट्रिंग्स जैसे पाकिस्तानी बैंड के गाने. यानी हर तरह से भारत और पाकिस्तान के संबंधों पर बाज़ार हावी है.
आख़िर में एक बात यही कही जा सकती है कि भारत और पाकिस्तान को अलग रखने की कितनी भी साज़िश की जाए, दोनों मुल्कों की जो बुनियाद है, उसे अलग कर पाना नामुमकिन है.
राजनीति और धर्म के नाम पर इन दोनो देशों का एक होना अब शायद नामुमकिन है ....... इस तथ्य को मान लेना चाहिए और आयेज बढ़ने में ही भलाई है दोनो देशों को ............
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