ये जूता, वो जूता ! आख़िर किसका जूता?
मेरे हिसाब से जूते का जिक्र यदि बड़े स्तर पर पहली बार हुआ होगा तो, राज कपूर के गाने " मेरा जूता है जापानी........." में। लेकिन पिछले कुछ दिनों में इस जूते ने अपनी एक अलग पहचान बना ली है। वह भी अन्तराष्ट्रीय स्तर पर। हर किसी की अपनी एक तमन्ना होती है कि उसकी अपनी एक अलग पहचान हो!
तो आख़िर जूता भी कब तक इंसान के कदमों में पड़ा रहता। उसने भी जोखिम उठाया। कर ली मीडिया मुट्ठी में। हो गया नाम दनिया में।
लेकिन भाई साहब , इस जूते में और उस जूते में कहीं-न-कहीं एक समानता दिखती है। वह है जलालत की जिंदगी की मुखालफत करना। एक तरफ़ वो बुश का जूता, ये चिदंबरम का जूता। दोनों ने खूब वाहवाहियां लूटीं। हालाँकि बीच में चीन के प्रधानमंत्री के जूते का भी जिक्र हुआ था। लेकिन इसे वो रूतबा नहीं मिल पाया। इसके पीछे भी वजह है। पहले बुश साहब का जूता। महाशय, गए तो थे इराकियों का हालचाल जानने लेकिन खिदमत हो गयी जूते से। दरअसल जिसने बदन पर हज़ार जख्म दिए हो, फ़िर उस पर मलहम लगाने के नाम पर उसे और खरोंचे तो क्या हालत होगी? जनाब बुश साहब ने भी यही किया और इनाम में मुन्तज़र जैदी ने दो जूते दे दिए।
और ऊपर जो मैंने जिक्र किया बुश और चिदंबरम के जूते की समानता की, यहाँ पर किस्सा ये है कि करीब तीन से चार हज़ार सिक्खों के कत्लेआम । चौबीस सालों से लोग इन्साफ की आस में बैठे हैं और सीबीआई मिनटों में उन गुनाहगारों को पाक -साफ़ करार दे देती है। वही सीबीआई जो गृह मंत्रालय के अधीन काम करती है। बस सवाल उन्ही से था चिदंबरम साहब से, महाशय ने पोलिटिकली जवाब दिया , जरनैल साहब जो दैनिक जागरण में पत्रकार हैं , उन्हें लगा ये उनकी (सिक्खों) भावनाओं से खिलवाड़ हो रहा है। फ़िर उन्होंने ये गुस्ताखी कर दी।
हालाँकि ये ग़लत है। मेरे हिसाब से एक पत्रकार के तौर पर उन्होंने इस पेशे को बदनाम करने की कोशिश की है। वो पत्रकारिता के प्रोफेशन में ख़ुद को बायस्ड होने से नहीं रोक पाए , अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाये। लेकिन ये उन नेताओं के लिए एक संदेश भी है कि वो अब जनता की भावनाओं से खिलवाड़ करना छोड़ दे। किसी भी घटना को टालने के लिए कमिटी पर कमिटी बैठना छोड़ दे, साथ ही किसी जाँच और सरकारी एजेंसी का राजनीतिक इस्तेमाल करना भी। नहीं तो आने वाले दिनों में और बुरे नतीजे हो सकते हैं। आम लोगों को ज़्यादा दिनों तक हमारे ये सत्तालोलुप नेता बेवकूफ बना कर नहीं रख सकते। वो ख़ुद को जनता का मालिक न समझे, बल्कि इस लोकतंत्र में वे जनता के सेवक हैं। बस जरूरत है उन्हें ख़ुद की हैसियत याद कराने की।
जय हिंद!!!!!!!!!जय हिंद!!!!!!!
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वाह वाह ! चन्दन तुने स्टार्टिंग जितनी अच्छी करी है न शायद इस से अछि स्टार्टिंग नहीं हो सकती राज कपूर का गाने ले कर बढ़िया , लाजवाब
ReplyDeletebadiya lekh hai, lekin beech me kuch jutee aur chale the jinhe aap shayad bhul gaye.
ReplyDeleteकिसी बहुत खास इंसान ने कभी कहा था...
ReplyDeleteबात अगर निकली है तो दूर तलक जाएगी...
इस वाकये से भी ऐसा ही लगता है....इराक से चले जुतों का काफिल दुर तलक जाएगा...अच्छा लिखा है...
आलोक सिंह "साहिल"