एक- दो दिन पहले राहुल गाँधी का ये बयान आया कि.....,मेरे पापा कहते थे कि सौ में से पंद्रह पैसा ही आम लोगों तक पहुँच पाता है...लेकिन मेरे हिसाब से पाँच पैसा ही लोगों तक पहुँचता है। ये बयान था राहुल गाँधी का। कुछ लोगों को उनकी ये बात दिलेरी वाली लग सकती है, कि उनकी सरकार है फिर भी ऐसी बातें वो करते हैं।
लेकिन क्यों भई, आख़िर क्यों ? कब तक ऐसे ही चलेगा, जिस पार्टी ने पचास सालों तक देश पर शासन किया, वही आज ऐसे क्यों कह रहा है.....अपनी नाकामयाबी को तो सरेआम स्वीकार करता है, फिर भी एक मौक़ा माँगता है...हमने तो एक नहीं, दो नहीं दस-दस मौक़े दिए फिर भी ये सुनने के लिए कि उनका किया काम जनता तक नहीं पहुँच पाता। समाजवाद का रोना रोते-रोते चाचा नेहरू चले गए...सड़ा हुआ समाज छोड़ गए... ग़रीबी के नाम पर इंदिरा ने वोट माँगे थे, हमने प्रधानमंत्री बना दिए, आज तक ग़रीबी गई नहीं...राजीव आए...कंप्यूटर लाए, लेकिन क्या हुआ आख़िरकार यही कह गए जनता का भला नहीं हो रहा है...अभी सोनिया हैं, रिपोर्ट आई देश की सतहत्तर फीसदी आबादी हररोज़ बीस रूपयो से भी कम पर गुजारा कर रही है...अब राहुल की बारी भी आ चुकी है...वो कह रहे हैं सौ में पाँच पैसे भी पब्लिक तक नहीं पहुँच रही है। और आपने देखा भी किसने कितने दिनों तक देश पर शासन किया...फिर जब-तब उनके ही हुक्मरानो की ओर से ऐसे बयान कि जनता का कुछ नहीं हो रहा तो आप बार-बार किसे बेवकूफ बनाने चले आते हो... यही होता है सबने पब्लिक को मानो अपनी जागीर समझ रखी हो.....अब फैसला भी हमें ही करना है कि आख़िर हमारा होना क्या है...ऐसे ही चक्की में पिसते रहना है या फिर....................................................??????????
अच्छी प्रस्तुति है परन्तु भाषा पर ध्यान दीजिए.
ReplyDeleteकहाँ, ग़लती हुई ये तो बताइए....................
ReplyDeletesahio kaha bhai kyonki ye sab neta log hai . system ki kharb hai . abhi abhi rang de basti dekhi hai miya . system badna padenga
ReplyDeleteबिल्कुल सैफ़, मैं तुम्हारी बातों से सौ फ़ीसदी इत्तेफाक रखता हूँ.................
ReplyDeleterahul ji aisa kahte hai to iske liye jimmedar logon ko nam btana chahiye.....
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