चुनावी राजनीति में जीत ही सब कुछ है. हारने वालों के लिए यहाँ कोई जगह नहीं है. चाहे चुनाव लोकसभा का हो, राज्यों का हो या फिर दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ का ही क्यों न हो? हर जगह जीत ही पूजी जाती है हारने वालों को सांत्वना भी कोई नहीं देता, मिलता है तो बस चमचों का साथ. यह तो बिलकुल जाहिर हो चूका है की छत्र संघ का चुनाव किस तरह अहम होता जा रहा है. लोकतान्त्रिक सुधर के लिहाज से नहीं, बल्कि देश की राजनीति में जगह बनाने के लिए. रास्ता यहीं से निकलता है. रास्ता यहीं से निकलता है, नतीजतन इसके साफ़ और स्वच्छ होने की उम्मीद लगाई जाती है. पर, ऐसा होता कभी नहीं है. आज देश की दो बड़ी पार्टियों में शीर्ष के नेताओं में शुमार होने वाले भी इन्हीं यूनिवर्सिटी से निकले हैं. चाहे अरुण जेटली हो या अजय माकन. माकन आज मंत्री हैं तो जेटली राज्यसभा में विपक्ष के नेता. जहाँ उनके बगैर सरकार कोई भी बिल पास नहीं करा सकती है. मतलब साफ़ है, छात्र संघ से निकले नेता आज देश का भविष्य तय कर रहे हैं. हालाँकि, कैसी तस्वीर वो बना रहे हैं, यह अलग मसला है. एक सवाल जो बार-बार परेशां करता है, वह यह कि जब छात्र नेता से जनता के नेता ये लोग बन जाते हैं, तो किस तरह से इनकी सोच में बदलाव आ जाता है. इनकी चुनावी रणनीति कैसे बदल जाती है. किस तरह विकास या जनता से जुड़े मुद्दों को दफ़न कर जाति, मजहब, क्षेत्र और गोत्र के नाम पर गंदी खेल खेलने लगते है. यहाँ सवाल उठ सकता है कि छात्र जीवन में तो इस तरह कि गंदी राजनीति नहीं होती, फिर अचानक से यह बदलाव कैसे आ जाता है. अगर मै कहूं कि उनके नेचर में बदलाव कभी आता ही नहीं, तो आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी? मुमकिन है, आपमें कई मेरी बातों से सहमत हो सकते हैं तो कइयों को कड़ा ऐतराज़ भी होगा. पर, आपको बता दूं यह सौ फीसदी सच है. आज नेताओं की जो पौध आ रही है, वह अपने शुरुआत से ही भ्रष्ट है. छात्र संघ चुनाव में अगर आपकी दिलचस्पी है तो ज़रा इसे करीब से देखें. दिल्ली विश्विद्यालय इसका बेहतरीन उदहारण है. यहाँ का छात्र संघ चुनाव बड़े ही व्यापक तौर पर होता है. लगभग ७० से अधिक कॉलेज और डूसू का अलग. भले ही छात्र नेता आपसे खुलेआम न पूछे कि आप किस राज्य से हैं या फिर आपकी जाति क्या है? लेकिन यह तय है कि वो आपसे ऐसे सवाल करेंगे ज़रूर. और इसका मकसद क्या होगा आप समझ सकते है. यदि आप अपनी जानकारी देते है तो अपना अजेंडा बताना आपको शुरू कर देते हैं. वो यह भी आपको बताएगा कि उसके कई सारे दोस्त आपके ही राज्य का निवासी है. कहानी लंबी है, बाकी अगले अंक में, तब तक डूसू के नतीजे भी आ जायेंगे...
चिन्तनीय।
ReplyDeletenice article...
ReplyDeleteA Silent Silence : Shamma jali sirf ek raat..(शम्मा जली सिर्फ एक रात..)
Banned Area News : Rare book on political and economic history of India digitized