पाकिस्तान और फिक्सिंग की फांस

क्रिकेट में मैच फिक्सिंग कोई नयी बात नहीं है. पहले भी यह होता रहा है. शुरुआती दौर में जहाँ यह नैतिकता का लबादा ओढ़े हुए था. धीरे-धीरे इसकी शक्लो शुरात बदलती गयी. पकिस्तान के खिलाडियों के फिक्सिंग में फंसने की भी कहानी भी कोई नयी नहीं है. साथ ही, इसके आरोपों से मुकरने का रिश्ता भी पुराना है. अब तीन पाकिस्तानी खिलाड़ियों- सलमान बट्ट, मोहम्मद आसिफ़ और मोहम्मद आमिर के ख़िलाफ़ आरोप लगे थे कि सट्टेबाज़ी के संबंध में उन्होंने तय समय पर लॉर्ड्स टेस्ट में तीन नो बॉल फेंके. अब इस मामले की पुलिस और आईसीसी जांच कर रही है. बकौल बीबीसी के रिपोर्टर अब्दुर्रशीद शकूर पाकिस्तानी क्रिकेट में पहली बार सट्टेबाज़ी या नाजायज़ तरीक़े से पैसा बनाने की बात पाकिस्तानी तेज़ गेंदबाज़ सरफ़राज़ नवाज़ की ज़ुबानी सुनने को आई थी.उन्होंने 1979-80 में भारत का दौरा करने वाली पाकिस्तानी टीम के कप्तान आसिफ़ इक़बाल की तरफ़ उंगली उठाई थी कि भारतीय कप्तान के साथ उन्होंने जो टॉस किया था उनके अनुसार वह टॉस संदिग्ध था.इसके बाद ताज़ा मामला बहुत कुछ कहता है. लेकिन सबसे हैरत की बात पकिस्तान का रवैया है.पाकिस्तान हर बात पर डिनायल मोड पर रहता है उसकी यही सबसे बड़ी समस्या है. भारत में मुम्बई पर हमला मामले में भी उसने यही रवैया अपनाया और अब भी वह यही कर रहा है.
लंदन में पाकिस्तान के उच्चायुक्त वाजिद शम्शुल हसन ने बिना किसी जांच के तीनों क्रिकेटरों को निर्दोष करार दिया और रहमान मलिक ने साजिश का अंदेशा जताया। पर यह भी ध्यान देने की ज़रूरत है कि 1983-84 में पाकिस्तानी टीम में शामिल क़ासिम उमर भी आरोप लगे. 1995 में सलीम मलिक पर मैच फ़िक्सिंग का इल्ज़ाम लगा. एलन बोर्डर ने 1993 में पूर्व पाकिस्तानी खिलाड़ी मुश्ताक़ मोहम्मद पर इसी तरह का इल्ज़ाम लगाया था.कहानी बस पाकिस्तानी क्रिकेट तक ही सीमित नहीं है. सटोरियों और क्रिकटरों का नापाक रिश्ता काफी पुराना रहा है.शायद वह साल २०००-०१ का वक़्त था, जब हैंसी क्रोनिए ने मैच फिक्स करने के लिए सटोरियों से रिश्वत लेने की बात क़बूल की थी.आईसीसी ने भ्रष्टाचार से निबटने के लिए एक विशेष इकाई बनाई है, लेकिन 'स्प्रेड बेटिंग' के कारण इस समस्या पर काबू कर पाना मुश्किल हो रहा है. कुल मिलकर यह कहा जा सकता है कि मैच फिक्सिंग में दामन तो कमोबेश सभी देशों के खिलाडियों का हुआ है. पर सबसे अधिक पाकिस्तान का. इस वजह से उस पर सबसे अधिक नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह डिनायल मोड से निकल कर डूइंग मोड में आये और अपने पाक दामन को नापाक होने से बचाए.

2 comments:

  1. बहुत अच्छा ,लाजवाब .


    पोला की बधाई भी स्वीकार करें .

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  2. अब किसी भी मोड में रहें, कलई तो खुल ही गई है.

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