वाकई काबिल नहीं बन पा रहा है। फिल्म को देखते समय कई बार हम मन मसोस कर रह जाते हैं। हम में हरकोई यह चाहता है कि दुनिया उसकी मुट्ठी में रहे, वह ज़िंदगी की तमाम ख़ुशियां हासिल करे, उसका जो जी चाहे वहीं करे...लेकिन वह कर नहीं पाता है...इस बात को बड़े ही निराले अंदाज़ में आमिर ही कर सकते थे, कि तकरीबन तीन घंटे की लंबी फिल्म बनने के बावजूद यह फिल्म दर्शकों को बोर नहीं करती है। नहीं तो आज कई ऐसे फिल्म हैं जो बनती है डेढ़ या दो घंटे की दर्शक एक घंटे में ही सिनेमा हॉल से पैसे गंवा कर वापस भाग आते हैं। हालांकि इस फिल्म में भी एक दो जगह थोड़ा बोझिल एहसास होता है, जिसे आमिर की काबिलियत के मने पकड़ पाना बेहद ही मुश्किल है। मोना की डिलिवरी के वक़्त का समय और आख़िर में जब फरहान और राजू साइलेंसर के साथ आमिर से मिलने लद्दाख पहुंचते हैं, करीना को भगाकर वे ले जाते हैं, वहां तक तो ठीक है लेकिन आमिर को वांगरू के रूप में आना एक्सपेक्टेड था और थोड़ा अति कर गया। लेकिन इसे भी आप इनजॉय कर सकते हैं। यही आमिर की ख़ूबी है। फिर भी आख़िर में यही कहूंगा यह फिल्म आपकी ज़िंदगी का ऑल इज़ वेल है।
थ्री इडियट्स
३ इडियट्स दिल को छू जाने वाली लगी। जब भी इस फिल्म के कैरेक्टर रोते हैं तो हमें रोना आता है, उनके हंसने पर हंसी। काफी समय बाद एक ऐसी फिल्म बनी है, जो सही मायनों में फिल्म की कसौटी पर खरा उतरती है, जिसे बारबार देखने को जी चाहता है। देखने को जी इसलिए चाहता है कि इस फिल्म की कहानी में एक पैशन है, ज़िंदगी जीने का नज़रिया है। आमिर ख़ान की फिल्मों से हमें हमेशा उम्मीद रहती है कि उनकी फिल्म दर्शकों और तमाम लोगों को एक लीक से हटकर फिल्म देगी। लेकिन इस पर आमिर उससे भी कहीं आगे निकल गए। उम्मीद से दोगुना मिला इस बार। यह एक ऐसी फिल्म जिसने आज के पच्चानवे फ़ीसदी युवाओं के दिल की व्यथा बता दी। आज हम में अधिकतर वही करते हैं जो हमारा दिल नहीं करता है। कभी मम्मी-पापा की उम्मीदों का बोझ उठाते हैं, तो कभी परिवार की आर्थिक ज़िम्मेदारियों को निभाने की मजबूरी। सबसे बड़ी बात की पड़ोस वाले शर्मा जी क्या कहेंगे। यदि हम में कोई साहस का फ़ैसला लेता भी है तो सफल हो जाने पर बधाई और कुछ नहीं हो पाया तो ज़िंदगी भर ताने सुनने को मिलते हैं। यही है ज़िंदगी की सही तस्वीर। हमारे मां बाप, दादा-दादी जो सदियों से करते आ रहे हैं हम भी वही कर रहे हैं। ज्ञान तो हमें मिल रहा है पर हममें कोई
तनहा दिल मेरा
पुराने साल को अलविदा,
नए को सलाम करता है हर दिल...
पर कुछ ऐसे भी हैं,
जिनकी कई यादें जुड़ी हैं,
पुराने साल से...
उसकी राहें, गलियां नए साल में भी
वही पुरानी यादें दिलाएंगी....
दिल कसमसा कर रह जाएगा
एकबार फिर...
फिर किसी की पहलू की तलाश में
खो जाएगा मेरा मन...
किसी अजनबी को पना बनाने की जद्दोजहद में
ग़ुम हो जाएगा ये तन्हा दिल...
दिन के उजाले में जब ये दिल
तनहा महसूस करता है...
रात के अंधेरों की तो बात करना भी बेमानी।
नए को सलाम करता है हर दिल...
पर कुछ ऐसे भी हैं,
जिनकी कई यादें जुड़ी हैं,
पुराने साल से...
उसकी राहें, गलियां नए साल में भी
वही पुरानी यादें दिलाएंगी....
दिल कसमसा कर रह जाएगा
एकबार फिर...
फिर किसी की पहलू की तलाश में
खो जाएगा मेरा मन...
किसी अजनबी को पना बनाने की जद्दोजहद में
ग़ुम हो जाएगा ये तन्हा दिल...
दिन के उजाले में जब ये दिल
तनहा महसूस करता है...
रात के अंधेरों की तो बात करना भी बेमानी।
चाहत
चलो एक बार फिर जी लें हम साथ-साथ,
न कोई आशा न उम्मीद हो दफ़न दिल में
कभी खुश तो कभी ग़मी में जीना अब छोड़ दें।
चलो चाहत की इस दुनिया को
एक बार फिर से गुलज़ार किया जाए।
किसी मोहब्बत एक बार फिर किया जाए।
याद तो आती है गुज़रे पलों की
लेकिन ये पल भी अब हमारा नहीं रहा।
किसी की नज़रों ने इसे भी बेग़ाना बना दिया है।
चलो एक बार फिर सभी
चाहत की दुनिया में जी कर देख लें
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