मैं सोच रहा हूँ

आजकल बहुत परेशान हूँ,
पता नहीं किन बातों से हैरान हूँ,
कभी-कभी ऐसा भी होता है,
हमें हमारी परेशानियाँ पता नहीं होती,
ऐसे में हम सोचते हैं,
आखिर मर्ज़ क्या है ये,
मैं भी सिर्फ सोच ही रहा हूँ,
सोचने का सिलसिला बदस्तूर जारी है,
यही सोच कर ज़रा हैरान हूँ.
मैं क्या चाहता हूँ?
मेरी मंजिल क्या है?
सोच कर हैरान हूँ,
शिकायतों से सबकुछ हासिल नहीं होता,
सोचने से कुछ नहीं होता,
कुछ करना पड़ेगा,
फ़िलहाल मैं सोच रहा हूँ.
जब सोचना बंद करूँगा,
तो कुछ ज़रूर करूँगा.
फ़िलहाल मैं सोच रहा हूँ,
और क्या सोच रहा हूँ,
ये मत पूछए, क्योंकि
आजकल हर कोई सोच रहा है,
अंतर इतना है कुछ को पता है,
मुझे अभी पता करना है,
कि मै क्या सोच रहा हूँ?

4 comments:

  1. जिसको अभी पता करना है कि क्या सोच रहे हैं उसके सोच को और विस्तार मिलेगा .. कुछ लोग तो सोचते ही नहीं, उनका क्या !

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  2. यही पता लग जाये कि अगले पल क्या करना है तो जीवन की समस्यायें कम हो जायेंगी।

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  3. बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !

    आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।

    आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें

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  4. सोचना बंद कभी न करें \

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