कुछ सवालों के जवाब ही सवाल हैं

कैसे भूल जाता हूँ अपने सवालों को,
बिना जवाब तलाशे,
उन सवालों को जो अक्सर परेशान करते हैं,
फिर सोचता हूँ क्या होगा उन जवाबों को जानकर,
क्या होगा दर-दर कि ठोकर खाकर जीने वालों का,
क्या होगा सर्द रातों में फूटपाथ पर सोने वालों का,
अक्सर इनका जवाब एक सवाल को जन्म देता है,
फिर क्या करूँगा मैं इनका जवाब जानकर,
बहुतेरे सवाल हैं, जिनके जवाब ही सवाल हैं,
कोई दिल से परेशान है, किसी को दवा की दरकार है,
मुझे मेरा प्यार चाहिए तो उनको पीने का पानी,
सबकी समस्या खास है,
इस जहाँ में आम कोई नहीं रहना चाहता,
कहते हैं नाखुशी से अमीर के साथ रहना बेहतर,
लेकिन ग़रीब के साथ ख़ुशी से रहना खतरनाक,
सवालों का यह सिलसिला थमता नज़र नहीं आता,
मुझे मेरे जवाब का अब भी इंतजार है...

1 comment:

  1. जब उत्तर ही प्रश्न उठाने लगें तो मान लीजिये राह कठिन है।

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