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कांग्रेस प्रवक्ता मनु सिंघवी |
हमारी अदालतें भी चुतियापा करती हैं. मनु भैया की सेक्स सीडी पर पाबंदी
लगी दी. हम सभी जानते हैं और जो नहीं जानते हैं वो जान लें कि सेक्स करना
क़ानूनी तौर पर तब तक अपराध की श्रेणी में नहीं आता जब तक कि दो व्यस्क
आपसी रजामंदी से करते हैं. यानी यदि दो व्यस्क आपसी सहमति से सेक्स करते
हैं या सभ्य भाषा में कहें तो संबंध बनाते हैं वह क़ानूनी तौर पर अपराध
नहीं माना जाएगा. फिर अदालत ने इस पर पाबंदी क्यों लगायी, यह सोचने वाली
बात है. उससे भी बड़ी बात कि अदालत की पाबंदी के बावजूद यह सेक्स सीडी
यू-ट्यूब (अब हटा लिया गया),
फेसबुक (मैंने यहीं देखी सीडी) और
मोहल्ला लाइव वेबसाइट (जहां से अभी-अभी लिंक को डिरेल कर दिया गया)
पर मौजूद हैं या थीं. अगर अदालती फरमान के बावजूद यह देखी और दिखायी जा
रही है तो कोर्ट की अवमानना का मामला बनता है. अब अदालत क्या करेगी? किसके
ख़िलाफ़ अवमानना का नोटिस जारी करेगी? इसीलिए कहता हूं कि अदालत का
फ़ैसला उसी तरह है जैसे
there is something rotten in Indian judiciary.
मनुसिंघवी ने जो किया वह बिल्कुल ग़लत (क़ानूनी तौर पर) नहीं है. लेकिन,
बड़ा सवाल तो न्यायपालिका पर उठता है. मनु सिंघवी की जो सेक्स सीडी है,
उससे हॉलीवुड फिल्मों के बीच में अक्सर आ जाने वाली
''तरह-तरह की आवाजों''
की तरह आवाजें नहीं आती हैं. लेकिन, भाव-भंगिमाओं को देखकर अंदाज़ा लगाया
जा सकता है कि क्या हो रहा है? ख़ैर अपन को इससे भी क्या लेना-देना?
दरअसल, जो महिला सिंघवी साहब के साथ हैं, वह ख़ुद को जज बनवाने की वकालत
और सिफ़ारिश की बात करती हैं. मनुसिंघवी कहते हैं कि सिफ़ारिश कर दी गयी
है. ऐसे में सवाल उठता है कि हमारी न्यायपालिका में जज बनने के लिए या
विभिन्न नियुक्तियों के लिए योग्यता के साथ या योग्यता के बग़ैर बिस्तर पर
सोना पड़ता है. फिर से उसी सवाल पर लौटता हूं अदालत को क्यों ज़रूरत आ
पड़ी इस सीडी पर पाबंदी लगाने की. अमर सिंह की सीडी मामले में भी यही हुआ
था. देख सभी लेते हैं और पता सभी को होता है कि इस तरह की रहस्यात्मक
(जिसका पता सबको होता है, सिर्फ अदालत समझती है कि उसके अलावा किसी को पता
नहीं है) सीडी में है क्या? एक दूसरा सवाल, किसी डीपीएस या अन्य स्कूल के
लड़की की एमएमएस के आने पर इस तरह के कदम नहीं उठाए जाते. क्या वो मामला
इससे अलग होता है. मीडिया भी सहूलियत के हिसाब से ख़बरों का चयन करता है.
हमारे नेता भी अपनी सहूलियत के हिसाब से कभी करप्शन तो कभी सेक्स करते
रहते हैं. सत्ता के साथ बहने का मज़ा ही कुछ और है. बहते जाइए. मनु सिंघवी
बनते जाइए. आख़िर सेक्स ही तो सत्य है. सेक्स ही तो शाश्वत है. बाक़ी सब
माया है.
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