राष्ट्रपति कोई भी हो देश की जनता को कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ता है. शायद इसलिए कि हमारे लोकतंत्र में उनकी भूमिका ही कुछ ऐसी है. लेकिन कुछ मामले हैं, जिससे एक राष्ट्रपति के तौर पर यह भूमिका इतनी महत्वपूर्ण हो जाती है कि सिस्टम पर सवाल खड़ा हो जाता है. यूं तो किसी क़ानूनी और आपराधिक मामलों पर फ़ैसला करने का अधिकार न्यायपालिका का होता है, लेकिन राष्ट्रपति के पास भी कुछ फ़ैसले माफ़ी के लिए चले जाते हैं. अभी राष्ट्रपति चुनावों की गहमागहमी के बीच प्रतिभा पाटील को लेकर कुछ विवादास्पद मामले भी सामने आए. सेना की ज़मीन पर अपने लिए मकान बनाने के लिए. ज़रूरत से ज्यादा ज़मीन उन्होंने अपने लिए आवंटित करवा लिए. हालांकि, सदाशयता दिखाते हुए उन्होंने ज़मीन लौटा दी. शायद इसलिए कि ख़बरें मीडिया में तेज़ी से उछल गयी थी. इसके अलावा विदेश भ्रमण को लेकर भी विवाद सामेन आया. लेकिन इन विवादों को एक तरफ़ रख दें तो सबसे हैरान करने वाली बात है वह यह कि प्रतिभा पाटील ने माफ़ी की याचिकाओं में कुछ ऐसे अपराधियों को माफ़ी दी है, जो उसके हक़दार थे या नहीं यह तो लोगों की विचारों पर निर्भर करेगा. पर कुछ मामले देखें तो साफ़ ज़ाहिर हो जायेगा कि वे कितना हक़ादर थे. दरअसल, पाटील ने इस मामले में खतरनाक हत्यारों, बलात्कारियों पर दया करने के मामले में एक रिकॉर्ड ही बना दिया है. उन्होंने पांच साल के कार्यकाल में कुल 30 हत्यारों की फांसी माफी दी है. माफी पाने वालों में 6 साल की बच्ची के साथ रेप और हत्या का दोषी सतीश भी
शामिल है.सतीश ने 6 साल की
बच्ची विशाखा (जो सर्वोदय पब्लिक स्कूल की छात्रा थी) के साथ रेप करके उसकी
निर्मम हत्या कर दी थी. विशाखा की क्षत-विक्षत लाश गन्ने के खेत में पड़ी
मिली थी. यह घटना 2001 में मेरठ में हुई थी. सतीश को पिछले सप्ताह गुरुवार
को माफी मिली है. जिन 30 अपराधियों की फांसी की सजा आजीवन कैद में
बदली गई है, वे 60 लोगों की निर्मम हत्या के अपराध में सुप्रीम कोर्ट से
दोषी ठहराए जा चुके थे और उनमें से 22 ने महिलाओं और बच्चों को निशाना
बनाया था. हैरानी की बात है कि सरकार ने इन घृणित अपराध के मामलों को भी दया के लायक
समझा और इन मामलों को राष्ट्रपति के विचारार्थ भेजा. तभी राष्ट्रपति
प्रतिभा पाटिल पिछले 28 महीनों में विचाराधीन मामले निपटाने का रिकॉर्ड बना
सकीं. राष्ट्रपति पाटिल की दया के पात्र बने 2 अन्य अपराधी हैं
मोलाई राम और संतोष यादव. इन दोनों ने जेलर की 10 साल की बेटी से जेल परिसर
में ही गैंग रेप किया था और फिर उसकी हत्या कर दी थी. तब ये दोनों एक अन्य
मामले में मध्य प्रदेश की जेल में बंद थे. धर्मेंद्र सिंह और
नरेंद्र यादव ने मिलकर 5 लोगों के एक परिवार को मौत के घाट उतार दिया था. जिन लोगों की हत्या हुई थी उनमें पति-पत्नी और उनके 3 बच्चे (12 साल के दो
बेटे और 15 साल की एक लड़की) शामिल थे. लड़की के साथ रेप भी किया गया था. मामला यह था कि नरेंद्र ने इस घटना से कुछ दिन पहले स्कूल से लौट रही 15
साल की लड़की से रेप करने की कोशिश की थी. वह इसमें कामयाब नहीं हो पाया
था. इससे बौखलाए नरेंद्र ने धर्मेंद्र के साथ मिलकर पूरे परिवार को मौत के
घाट उतार दिया था. माफी पाने वालों में 6 ऐसे लोग हैं जिन्होंने
वहशी अंदाज में 4 लोगों को मौत के घाट उतारा था। इनमे से तीन पीड़ितों का
इन लोगों ने सरेआम गला काट दिया था और एक 10 साल के बच्चे को जिंदा ही आग
में झोंक दिया था. जिन लोगों को दया मिली है उनमें पंजाब के प्यारा सिंह और
उसके 3 बेटे भी शामिल हैं. इन लोगों ने व्यक्तिगत दुश्मनी के कारण एक शादी
के दौरान 17 लोगों की हत्या कर दी थी. 1991 की इस घटना में 4 बच्चे भी
मारे गए थे.
No comments:
Post a Comment