गृह राज्य मंत्री का बेटा... जज साहेब अदालतें मंदिर की घंटी बन चुकी हैं...

देश की न्याय व्यवस्था मंदिर के घंटे की तरह हो गई है। कोई भी आ रहा है और बजाकर चला जा रहा है। मंदिर के घंटे को बजाने का भी एक तय समय होता है, लेकिन न्याय व्यवस्था के साथ जिस तरह घंटी बजाई जा रही है, उसका को नियत समय नहीं है। देश के गृह राज्य मंत्री के बेटे से लेकर राज्य के मुख्यमंत्री से लेकर तक इस सिस्टम की घंटी नहीं, बैंड बजा रहे हैं। बस उम्मीद सिर्फ आम जनता, दबे-कुचले लोगों, जिनके पास दौलत नहीं है, प्रभावशाली नहीं है, उनसे की जाती है कि वे देश के तमाम कायदे-कानून को सर पर बिठाकर रखें। हालिया घटनाक्रम ने इस मीडिया, न्यायिक, पुलिसिया और राजनीतिक सिस्टम में भरोसे को खाई में ही धकेलने का काम किया है।

बॉलिवुड के बादशाह शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान इन दिनों मुंबई के ऑर्थर रोडजेल में बंद हैं। अदालत ने आर्यन को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा है। मामला क्रूज रेव पार्टी से जुड़ा है। शनिवार को कुल 18 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं। आर्यन खान के वकील ने मैजिस्ट्रेट कोर्ट में जमानत की अर्जी दी। खारिज हो गई। शनिवार को वकील ने सेशन कोर्ट का रुख किया। मामला खींचेगा। इस बीच, समझने की बात है कि शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान के पास से किसी भी तरह का ड्रग्स नहीं मिला है। एनसीबी के हवाले से कई मीडिया संस्थान खबरें चला रहे हैं कि आर्यन ने माना है कि ड्रग्स का सेवन किया। जमानत पर सुनवाई के दौरान कोर्ट में आर्यन के वकील ने मैजिस्ट्रेट को बताया कि आर्यन खान ने ड्रग्स को लेकर अपना ब्लड टेस्ट देने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन एनसीबी के अधिकारियों ने सैंपल लेने से मना कर दिया। दो बातें साफ हैं...1. आर्यन खान के पास से ड्रग्स नहीं मिला। 2. सेवन का शक था, तो एनसीबी ने मेडिकल क्यों नहीं कराया यानी यहां भी आर्यन से कुछ हासिल नहीं हुआ।
अब चलते हैं उत्तर प्रदेश के लखमीपुर खीरी। यहां केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे पर चार किसानों पर खुलेआम जीप चढ़ा देने का आरोप है। मंत्री जी बेटे का बचाव करते रहे। आरोपी बेटा अपना बचाव करता है। हक है, करिए। लेकिन हत्या के आरोपी की गिरफ्तारी कब होती है। सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद। जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा,
क्या हत्या के दूसरे के मामले में पुलिस इसी तरह मंत्री जी के बेटे की तरह नोटिस भेजकर बुलाती। दुनिया जानती ही कि अगर आम आदमी छोटा-मोटा अपराध कर दे, तो हवालात की हवा खाने तुरंत भेज दिया जाता है। यहां मंत्री जी के बेटे की आवभगत होती रही। हत्या के आरोपी को 5-6 दिनों के बाद गिरफ्तार किया गया। मंत्री जी के बेटे को भी 14 दिनों के न्यायिक हिरासत में भेजा गया। आर्यन खान के पास से ड्रग्स बरामद भी नहीं हुआ, फिर भी पहले वह दो-तीन दिनों तक एनसीबी की हिरासत में रहा। फिर 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में। यहां मंत्री जी का बेटा, चार लोगों पर गाड़ी चढ़ाने के चार दिन बाद तक मौज करते रहे, फिर 10 घंटे पूछताछ हुई। फिर गिरफ्तारी के बाद अरेस्ट किया गया। दूसरी बात यह कि जिसके पास से ड्रग्स तक बरामद नहीं हुआ, न सेवन का पता करने के लिए मेडिकल कराया गया। उधर, गुजरात के अडानी मुंद्रा पोर्ट से 3000 किलोग्राम की हेरोइन बरामद हुई। इस मामले में एनसीबी की सक्रियता किसी मुर्दा की तरह नजर आती है।

एनसीबी का कहना है कि आर्यन खान के वॉट्सऐप चैट से पता चलता है कि मुमकिन है कि वह नियमित तौर पर ड्रग्स का सेवन करता हो। यानी एनसीबी कंफर्म नहीं है। आर्यन के वकील ने कहा कि फुटबॉल के बारे में चैट है। एनसीबी का यह भी कहना है कि यह संभव है कि गिरफ्तार लोगों के तार जुड़े हो और उन्होंने पार्टी में शामिल होने की योजना बनाई। इससे आर्यन खान ने इनकार किया। एनसीबी का बड़ा दावा है कि आर्यन खान एक प्रभावशाली परिवार से हैं। अगर उन्हें जमानत पर छोड़ा गया तो वह सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं। बिल्कुल सही बात है कि आर्यन एक प्रभावशाली परिवार से ताल्लुक रखता है, तो क्या मंत्री जी का बेटा किसी चरवाहे के घर का है, जिसके पास फूस का घर है औऱ वह किसी सबूत से छेड़छाड़ नहीं कर सकता। इसीलिए पुलिस उसे चार-पांच दिनों तक छुट्टा छोड़े रखती है। फिर पूछताछ के लिए आने के लिए नोटिस भेजती है। जरा सोचिए, क्या आपको इस तरह की छूट मिलती? हत्या का आरोप ही छोड़िए, किसी की गाड़ी का एक्सिडेंट ही हो जाता और गलती से कोई जख्मी हो जाता तो भी इतनी रियायत आपको मिलती क्या? यहां मंत्री जी का बेटा पुलिस के नोटिस भेजने के एक दिन बाद तब आता है, जब मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचता है। सुप्रीम कोर्ट जैसा कि इस तरह के मामलों में रिवाज है, सख्त टिप्पणी के बाद मामले को लंबे समय के लिए बोरिया-बिस्तर में डाल देता है। पेगासस जासूसी वाले में जिस-जिस दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, अखबारों के पहले पन्ने पर हेडिंग बनी खबर। लेकिन अब उस मामले का क्या हुआ? इसी तरह लखीमपुर खीरी मामले में एक दिन की सुनवाई के बाद जज साहेब लोग छुट्टी पर चले गए और सुनवाई छुट्टियों के बाद करेंगे। जनता की जिंदगी की कीमत का फैसला छुट्टियों के बाद होगा।

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