पानी के लिए खून


दुनिया में धरती के दो-तिहाई से भी अधिक हिस्से पर पानी है, लेकिन फिर भी हत्याएं पानी के लिए ही हो रही हैं। हम चांद और मंगल तक तो पहुंच गए, वहां रहने की तमाम खोजबीन में लगे हैं। लेकिन अगर हक़क़ीत देखी जाए तो हम धरती पर भी रहने के क़ाबिल नहीं हैं। विकास के इस अंधेर भागदौड़ में हमने सब कुछ खो दिया है। आज हमारे घरों में एसी, फ्रीज़,वाशिंग मशीन तक हैं। लेकिन हमने कभी नहीं सोचा कि ये सारी चीज़े किस क़ीमत पर हासिल की है।हमने सबसे बड़ी क़ीमत चुकाई है इस बात की...अपने अस्तित्व की क़ीमत। आप सोच रहे होंगे कि फालतू की बकवासबाज़ी आपको क्यों बता रहा हूं मैं? आज सबकुछ मिलता है, अगर आपके पास दौलत है तो दुनिया आपके कदमों में है, यकीनन दुनिया आपके कदमों में होगी...लेकिन फर्ज़ कीजिए आपकी जरूरत की चीज़ ही दुनिया से दूर हो जाए तो क्या करेंगे आप? क्या आपकी बेशुमार दौलत भी उस चीज़ को ख़रीद पाएगी, बिल्कुल नहीं।
जी हां, यही कहानी है, पानी की। धरती पर दो-तिहाई से भी ज्यादा हिस्से पर पानी है, लेकिन पीने लायक बस ढाई फीसदी ही है और ढाई फीसदी का भी पचहत्तहर फीसदी बर्फ से ढका है। तो सोच लीजिए आपके आपके पास कितना पानी है? औऱ पूरी दुनिया का गुजारा कैसे होता है? इस भागदौड़ भरी जिंदगी में इन बातों को सोचने की फुर्सत ही किसे है? लेकिन अब जो रहा है वो बेहद ही विकट संकट है। अगर समय रहते नहीं संभले तो यकीन मानिए गंभीर नतीजे भुगतने पड़ेंगे। अबी पिछले दिनों की ही बात है, जब पानी के लिए हत्या की वारदात को अंजाम दिया गया...मामला मध्यप्रदेश का है। दरअसल भारत का यह प्रदेश आजकल पानी की भारी कमी से संघर्ष का समरभूमि बना हुआ है। इसका जीताजागता उदाहरण है, भोपाल में सरपंच और उसके साथियों के हमले में हुई एक युवक की मौत। सिर्फ भोपाल में ही अब तक पानी की लड़ाई में चार लोग अपनी जान गवां चुके हैं....वहीं पूरे सूबे की बात करें तो अलग-अलग थानों में इस सिलसिले में कुल पौंतालीस मामले दर्ज हैं तो कुल सात लोग पानी के लिए मौत के परवान चढ़ चुके हैं। पानी की कमी ने किस कदर लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया है, ये तो महज कुछ उदाहरण हैं। ऐसे अनेक मामले हैं जहां लोग पानी के लिए अपना ख़ून बहा रहे हैं और यही हुआ भोपाल के शाहजहांबाद इलाक़े में। जहां सात साल के ब्रजेश के माता-पिता और बड़ा भाई पानी की लड़ाई में हमेशा के लिए मौत की आगोश में सो गए। कोई इत्तेफाक नहीं ब्रजेश अगर दो घूंट पानी के लिए तड़पता रहे।
पानी के संकट का आलम ये है कि भोपाल से महज चालीस किलेमीटर दूर सिहोर शहर में चार दिन में एकबार तो बाक़ी नगरों में दो दिन में एकबार पानी आता है। इसी से हररोज का तमाम कामकाज। सोचने पर विवश करती हैं ये परिस्थितियां। हालांकि सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं, मसलन अनाजों की तरह पानी की राशनिंग, पाइपलाइन के इर्दगिर्द पुलिस का पहरा। मतलब अब पानी पर भी पहरा और पानी आपको मिलेंगे भी तो ठीक उसी तरह जैसे अनाज, घासलेट(केरोसिन तेल) के लिए डीलर के घर पर लाइन में लगकर लेना पड़ता है।
मध्यप्रदेश के इस ताज़ा सूरतेहाल में हम आने वाली दुनिया की तस्वीर साफ़ देख सकते हैं। और हक़क़ीत तो है कि, महज 6-7 साल पहले हम पढ़ते थे, दुनिया का सबसे अधिक बारिश वाला जगह कौन तो चेरापूंजी,,,,,,और आज यही चेरापूंजी औसत बारिश के लिए भी तरस रहा है..............

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