मीडिया में ख़बरें आती-जाती रहती हैं। इसका काम भी है, दिखना और उसका नतीजा क्या निकलता है इसकी परवाह कोई नहीं करता। हां, यदि कोई असर पड़ता हैतो उसका क्रेडिट लेना कभी नहीं भूलते। ये हमारी दिखाई गई रिपोर्ट का ही असर है, फलाने चैनल का इंपैक्ट, ...इतना ही नहीं ख़बरे नीचे एक्सक्लूसिव बैंड में दिखती हैं, पर दिख हर चैनल पर रहा होता है। व्यक्तिगत ज़िंदगी में बड़ी बड़ी और उसूल एवं आदर्शों की बातें करने वाले टीवी पर आते आते कि तरह की ख़बरे दिखाने लगते हैं यह हर कोई जानता है । अक्सर सुनने को मिलता है मालिक के हाथों पत्रकार मजबूर हैं, लेकिन कल के पत्रकार जो उस जगह पर पहुंच गए हैं, जहां उनके बूते कुछ भी करना आसान होता है, वह भी इसी दलदल का हिस्सा बन गए हैं। कल के दिग्गज और सफल पत्रकार आज एक सफल व्यवसायी बन गए हैं।
प्रभाष जी चले गए और उनके साथ चला गया पत्रकार धर्म का एक अहम और बड़ हिस्सा। अब चंद लोग उनके खाली जगह को हथियाने और क़ब्ज़ा करने में लगे हैं। कोई हैरत नहीं वो कामयाब भी हो जाएंगे। लेकिन उनकी यह कामयाबी पत्रकारिता के लिए बड़ी नाकामयाबी साबित होगी। अभी ख़ुद मीडियाकर्मी चापलूसों और कामचोरों से घिरे हैं। उन्होंने अपने आसपास समर्थकों का एक ऐसा चक्रव्यूह बना लिया है कि जिसे भेदना आज के किसी भी अर्जुन के बूते की बात नहीं रह गई है। मैं यह नहीं कहता कि सब जगह निराशा, हताशा या उदासी घर कर गई है, और ऐसा होना भी नहीं चाहिए। बेहतर भविष्य के लिए ज़रूरत है, हम ख़ुद को बेहतर बनाए। दूरों के दुख का उल्लास मनाने के बयाज ख़ुद के सुख पर हर्षित और उल्लासित हों.
सब वक़्त वक़्त की बात है !हर आदमी अपने वक़्त का १००% लाभ लेना जानता है ........यही आजकल की नीति है !
ReplyDeleteइन चीजो का अहमियत ना दे जो मिडिया के द्वारा फैलायी जाती है यह भी सही है थोडा धैर्य तो रखना ही पडेगा ........तभी जाकर हताशा और निराशा से बुरे वक्त मे निजात मिल पायेगी !
ReplyDeleteबेहतर भविष्य के लिए ज़रूरत है, हम ख़ुद को बेहतर बनाए।-यही सही है.
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