चलो ज़ख्म को ज़रा याद करें

कुछ दिनों से कई बातें मन में चल रही हैं. काफी उहापोह का माहौल बना हुआ है. एक साथ कई बातों के घुल मिल जाने से सर फटा जा रहा है. बात कहाँ से शुरू करूं, समझ में नहीं आ रहा है. दरअसल आजकल एक अलग तरह का जुनून स्वर है सर पर. वह आखिर है क्या मुझे भी समझ नहीं आ रहा है. पिछले कुछ दिनों से अपने अस्तित्व को लेकर एक अजीब सी उलझन में फंसा हुआ हूँ. यह उलझन कहाँ तक ले जाती है, पता नहीं. पर मुझे मालूम है या तो कुछ अच्छा होगा नहीं तो बुरा. जब तक हिम्मत है खुद से लड़ने का ज़ज्बा है तब तक कुछ बुरा होने की उम्मीद नहीं है. जिस दिन मेरे और मेरे मन के बीच यह जंग ख़त्म होगी, तब तक उम्मीद बाकी है. यह जंग कब ख़त्म होगी इसका इंतज़ार मुझे भी बड़ी बेसब्री से है. मै बस कर्ता की तरह कर्म किये जा रहा हूँ. क्यों किये जा रहा हूँ, पता नहीं. बस आजकल तो यही है, कि जीना है तो कुछ करना होगा. जीने के लिए काम के अलावा कुछ निजी वक़्त भी निकाल ले रहा हूँ. शुरू वक़्त खूब होता था, पर करना क्या है, इस पर उलझता रहता था. जो करना चाहता था वह नहीं कर पाया, तो आज वह सब करना चाहता हूँ, जो जी में आता है. इसके लिए कभी हंसी का पत्र बनना पड़ता है तो कभी, जोश में बहुत म्हणत करने का मन करता है, ताकि कोई मेरी कमजोरी पर हँसे नहीं. हाँ, यह गनीमत है कि अभी तक मैंने हार नहीं मानी है. जिस हार मान लूँगा, उस दिन मेरा वक़्त ख़त्म हो जायेगा. इसलिए जब तक ज़ज्बा है, तब तक जीत कि आस है. क्योंकि हर हार के बाद यही सोचता हूँ कि यदि मै सफल नहीं हो पाया तो, यह मेरी नहीं मेरे द्वारा चुने गए रास्ते की असफलता थी. हार मेरी नहीं मेरे तरकीबों की होती है.  आजकल फिर किसी मकसद को पूरा करने मेंलगा हूँ. सफल होता हूँ या नहीं, इसका डर नहीं है. बस थोड़ा भटक जाने का खतरा है. पहले से ही दलदल में फंसा हूँ, एक और ज़ख्म और खेल ख़त्म तो नहीं, लेकिन अंजाम का पता नहीं.....

4 comments:

  1. दिल और दिमाग की उथल पुथल को शव्दों में अच्छा व्यक्त किया है अच्छा लगा बधाई

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  2. केवल कर्म करते रहें बस। असफल होने पर कम से कम यह मलाल तो नहीं रहेगा कि कर्म नहीं किया। फल देने का कार्य ऊपर वाले पर ही छोड देना चाहिए। अनुभव तो यही बताता है कि निष्‍काम कर्म ही मन को राहत देता है। ऐसा मेरा साथ भी हुआ है, बस मैंने तो सारे प्रतिघातों के मध्‍य भी कर्म को ही चुना था।

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  3. यही लगन बनाये रखिये। बुरे वक्त को सबसे अधिक डर उत्साह से लगता है।

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  4. JANE ME KOI ASSI BAAT HO JATI KI PACTAWE KI SEWA KOI AUR RASST NAI HOTA,

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