एक पहलू ये भी

हममे से अधिकांश लोगो के अन्दर इन्सान के अलावा शैतान भी छिपा रहता है।
जो मौका मिलते ही अपना काम करने लगता है। हमें पता ही नहीं चलता कि कबसे
हमारे अन्दर यह शैतान अपनी जिंदगी जी रहा है। हमारा जन्म तो होता है एक
बच्चे के रूप में, लेकिन बाद में हमारे आसपास के माहौल , समाज, संस्कार आदि ही कुछ
इस तरह के होते हैं कि हम दोहरी जिंदगी जीने लगते हैं।

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