मीडिया

आज भी लोग किसी बारे में बात करते हैं तो बगैर उसके बारे में कुछ मालुमात किए ही ,
ये जानकर अजीब लगता है, लोगों के पास दिमाग है, सोचने समझने की ताकत है। लेकिन बगैर अपने बारे जाने ही हम दूसरों पे इल्जाम लगा देते हैं। ये हमारी फितरत है। आजकल मीडिया को कटघरे में खड़े करने की कवायद चल रही है, मीडिया आपको आइना दिखाती है उसे ही आप तोड़ने की कोशिश में लगे हैं। ये काम उन प्रबुद्ध लोगों ने शुरू किया है जो इसे अपना प्रतिद्वंदी समझते हैं। मीडिया के खिलाफ वही नज़र आते हैं जो किसी के साथ नहीं होते। ये सही है है कि ग़लतियाँ कुछ हुई हैं लेकिन इसके लिए आप किसी पर पाबन्दी नहीं लगा सकते, न ही उस पर हमेशा तलवार की धार लटकाई जा सकती है।
और रही बात t.v channes के content की तो जो लोग जैसी चीजें देखते हैं उन्हें वही दिखाई जाती है। आप ये ilzaam नहीं लगा सकते क्या करें हमे तो यही भूत और naag -nagin dikhya jata है तो हम क्या करें? are भाई आपके पास rimote channel badal लो , आपके पास vote है sarkaar badal दो। लेकिन आप ऐसा करोगे नहीं। dekhoge वही और kahoge hamaare पास कोई vikalp ही नहीं हैं।
लेकिन ऐसा नहीं है जो vikalp आपके पास है उस पर आप अमल करोगे नहीं। तो ये रोना क्यों? एक बात तो saaf है । हम जैसा t.v देखना चाहेंगे वैसा ही मिलेगा। जैसी सरकार चाहेंगे वैसी मिलेगी। तो फ़िर ये रोना कैसा ?????

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