छोटीगली... Chhotigali
हर बात बेअसर, फिर भी कितना आसान है कुछ कह देना...
देश की इज्ज़त
इसे शर्म की ही बात मानी जा सकती है कि आज हमारे देश में आज़ादी के 62वर्ष में भी ग़रीबी कि बात कि जाती है। हो भी क्यों न , इस देश कि आधी आबादी तो ग़रीबी रेखा के नीचे जीवन यापन पर मजबूर है यानि पाँच सौ पच्चीस करोड़ । सुनकर अजीब -सा लगता है।
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