भारतीय सभ्यता -संस्कृति में कई ऐसे रस्मों-रिवाज हैं, जिनके बिना जीवन
अधूरा है। एक-दूसरे के साथ जीवन गुजारने का अपना अलग आनंद है। तब है किउसके बीच एक रेखा
होती है, जो एक- दूसरे के बीच की सीमा तय करती है। यानि आप किसी व्यक्ति के साथ घुलमिल सकते हैं। बर्ताव कर सकते हैं, व्यव्हार कर सकते हैं आदि कि उन्मुक्तता वह रेखा प्रदान करती है। हालाँकि वह रेखा एक दिन में बैठकर एक व्यक्ति द्वारा खींची गयी कोई लकीर नहीं होती बल्कि सामूहिक रूप से प्रस्तावित और स्वीकृत एक बंधन होता है। जो मानव जीवन के क्रमिक विकास के साथ बनता -बिगड़ता रहता है।
मानव जीवन के बीच कई ऐसे रस्मों-रिवाज हैं जो संबंधों को निश्चित करते हैं। यानि उन प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद लोगों की सामाजिक मान्यता मिल जाती है। उसके बाद व्यक्ति अटूट संबंधों के धागे में बाँध जाते हैं और मरते दम तक सम्बन्ध स्थापित रखते हैं।
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