चुनावों की रणभेरी बज चुकी है। राजनीतिक दल मैदान में कूद चुके हैं। चौदहवीं लोकसभा ख़ुद में काफी मजेदार रहा। जी हाँ , मजेदार ! कुछ खट्टी - मीठी यादों भरा रहा। लोकतंत्र मजबूत भी हुआ ,कमजोर भी । जनता ने बहुत -से तमाशे भी देखे और कुछ संजीदगी भी। परमाणु करार को लेकर वोट फॉर नोट का तकरार हुआ , तो राइट तू इन्फोर्मेशन जैसा पब्लिक बिल भी पास हुआ। राष्ट्रीय रोज़गार गारंटी योजना अगर इस सरकार की उपलब्धि रही तो डेल्ही से लेकर मुंबई तक आतंकवादी वारदात भी इसी सरकार के खाते में रही। और हमारे गृह मंत्री अपने सूट बदलने में लगे रहे। महंगाई आसमान पर पहुँची, इससे निजात मिली तो आर्थिक मंदी ने कमर तोड़ दिया। लाखों लोगो ने अपनी नौकरी गवां दिया और सरकार आर्थिक सुधारों को लागू करने में लगी रही ।
मीडिया को लेकर सवाल उठाये गए तो इस पर नकेल कसने के लिए रूल्स एंड रेगुलेशन लेन की कवायद शुरू हो गई। जिसे आखिरकार सरकार को भरी दबाव में वापस लेना पड़ा। इसी सरकार men mahngai ने लोगों के कमर तोड़ दिए। जिस montek -manmohni arthik niti ने लोगों को sapne दिखाए वह khawab bikhrte नज़र आए। इसी सरकार की arjun सेन gupt की riport batati है की अभी भी देश की 77 % aabadi mahaz बीस rs पर guzara kartee है। अब कितना vikas करना chahtee है सरकार आम आदमी का।
खैर ये आलम to सभी का है, कोई भी सरकार आए, आम आदमी कुछ नहीं होने wala। वह बस vote बैंक है। अगर कुछ कम जनता के लिए हो भी jata है to इसकी भी वजह है। अगर हमारे देश के लोग voter नहीं होते और election नहीं होते to यहाँ के लोगों को कोई पूछने wala भी नहीं होता। शुक्र है ऐसा नहीं है। यहाँ chunav भी होते हैं और हम सभी voter भी हैं।
एक बात और, congress ने ,जय हो ! gane के music rights खरीद लिए है। vhai gana जिसे oscar मिला है। to ज़रा thik से इस gaane का istemaal kijiyega। kahin लेने के देने न पड़ जाए। आख़िर right की ही to बात है। अब हर cheez पे inhi का to adhikar होगा। लेकिन हम to फिर भी कहेंगे
जय हो! जय हो!
goood , infomatic
ReplyDeletethanx saif. if you have any idea & point which must me in my article ,you can tell me.
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