बदल रहा है.....एनडीटीवी----इंडिया.
ख़ुद को बाक़ी चैनलों से अलग बताने वाला न्यूज़ चैनल, एनडीटीवी-इंडिया अब वाक़ई उन सभी से अलग बन चुका है। जिस भी सेमीनार में इसके महान पत्रकार पंकज पचौरी जाते दूसरों पर व्यंग्य करने का एक भी मौक़ा नहीं गंवाते। अब क्या हुआ उनको ? टीआरपी ने कहीं उनका भी मिजाज तो नहीं ख़राब कर दिया। संवेदनशील पत्रकार रवीश कुमार को जिन्होंने कभी स्पेशल रिपोर्ट की शुरूआत करते हुए, न्यूज़ चैनलों में कंटेट को लेकर आंसू बहाते नज़र आते थे। आज भी याद है मुझे रवीश की वो स्पेशल रिपोर्ट जिसमें उन्होंने दूसरे चैनलों को यह कहकर दुत्कारा था कि इनका काम बस पब्लिक को बेवकूफ़ बनाना है, तालिबान और दाउद देखकर आपके जीवन पर क्या फर्क पड़ेगा। प्राइम टाइम में हंसी के फुहारे और राखी को देखकर आप क्या सीख लेना चाहते हैं। ऐसी कई तमाम ज्ञान भरे उपदेश रवीश कुमार ने दिया, जिसे वो ख़ुद समझ भी रहे होंगे, लेकिन राखी का स्वयंवर लगातार कई दिनों तक लोगों को दिखाना उनके लिए क्या साबित करता है। भाई मेरा तो मानना है कि दूसरों को बदलने की जगह आप ख़ुद को दुरूस्त रखिए ना॥तभी तो हम कुछ सीख लेंगे। एक बात आपको बता दूं, रवीश के उस स्पेशल रिपोर्ट के बाद हमारे फ्रेंड सर्किल में इसे लेकर काफी बहस भी हुई थी। काफी सारे रवीश की बातों से सहमत भी थे, जिनमें मैं भी एक था। लेकिन अब अचानक सूरज पश्चिम से कैसे निकलने लगा। यह समझ में नहीं आ रहा है। शायद रवीश कुमार को भी समझ नहीं आ रहा होगा कि जिस स्पेशल रिपोर्ट में कंटेंट को वह दूसरे चैनल वाले को गरिया रहे थे, वहीं अब तालीबान और दाउद जैसी ख़बरें कैसे आने लगीं। एक पंक्ति रवीश की आप भी सुन लीजिए जो उन्होंने उस स्पेशल रिपोर्ट के दौरान उन्होंने पब्लिक और दूसरे चैनल वालों के लिए इस्तेमाल किए थे, थोड़ा इधर-उधर हो सकता है...जब तक आप ख़बर के नाम पर ऐसी (तालिबान और दाउद, पाक का आतंक, कॉमेडी तड़का) चीज़ें देखते रहेंगे॥ ये चैनल वाले ऐसे ही आपके सामने बकर-बकर करते रहेंगे.. मेरी तरफ से यह कि देखते रहिए एनडीटीवी इंडिया-ख़बर वही सच दिखाए.....तो करते रहिए एनडीटीवी पर सच का सामना................
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बहुत साफ बेलाग बातें लिखी हैं आपने । इस चेनल चरित्र पर विस्तार से कथादेश के मीडिया विशेषांक मे पढ़ें -शरद कोकास ,दुर्ग
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ReplyDeleteक्या मारा है पटक के, पापड़ वाले को ?
NDTV पहले से ही नेहरु डायनेस्टी TV था, अब अब तालीबान और दाउद जैसी ख़बरें देंगे तो इन्हें पूछेगा कौन | एक तो करेला दूजे नीम चढा |
ReplyDeleteइनकी और एक करतूत देखिये : एनडीटीवी की ब्रेकिंग : ‘बहुत जरूरी न हो घर से न निकलें'
http://dharmendrabchouhan.blogspot.com/2009/07/blog-post_27.html
पता नहीं लोग कैसे झेलते हैं NDTV को ....
टीआरपी मैटर तो करती ही है...नहीं तो एनडीटीवी का हाल ये ना होता।
ReplyDeleteआज जो भी स्थिति, उसे चाहे आप भली कहो या फिर बुरी, हमारे टीवी न्यूज़ चैनलों की है, मेरा मानना है उसके सूत्रधार और करता धरता दो ही चैनल है एक NDTV तथा दूसरा आजतक ! एक सीमा के बाद जाकर दूसरो को केवल दिखाने के लिए संत बनने लगो, उससे क्या होगा ? जनता को कब तक बेवकूफ बना पावोगे ?
ReplyDeleteJo badalta nahee hai, wo samaapt ho jata hai.
ReplyDelete( Treasurer-S. T. )
राकेश भाई सही ही कहा अब यहां भी इसी तरह के ब्रेकिंग न्यूज़ देखने को मिलेंगे................
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