कभी आपने सोचा है, नेहरू का ख़ानदान गांधी ख़ानदान कैसे बन गया। आख़िर क्या वजह रही कि पंडित नेहरू ख़ानदान का उपनाम बाद में चलकर गांधी उपनाम में बदल गया। हममें कई लोग सोचते होंगे कि और हो सकता है कई लोग न भी जानते हों, कि इंदिरा गांधी ने जब फिरोज़ गांधी से शादी की तो भारतीय परंपरा के मुताबिक़, पति का उपनाम ही ख़ानदान का उपनाम बन जाता है। इसीलिए, इंदिरा गांधी के बाद जिस भी नेहरू वंशज ने भारत पर राज किया चाहे वह राजीव हों या अब राहुल उनके नाम में गांधी उपनाम लग गया। कई लोग यहां तक अफवाह फैला चुके हैं कि फ़िरोज़ गांधी महात्मा गांधी दूर के रिश्तेदार थे। लेकिन ऐसा नहीं। दरअसल फिरोज़ गांधी एक पारसी फैमिली से ताल्लुक़ रखते थे। उनके पिता का नाम जहांगीर गांधी था। ऐसा भी कहा जाता है कि फ़िरोज़ गांधी ने अपना उपनाम गैंडी (Gandy) से गांधी कर लिया। फ़िरोज़ से शादी के पहले इंदिरा गांधी अपना पूरा नाम इंदिरा नेहरू लिखती थी।
लेकिन, इस गांधी उपनाम में भी ग़जब का जादू है। इसी उपनाम की बदौलत नेहरू वंशज भारत पर अभी तक शासन कर रहे हैं। यदि इसमें हक़ीक़त नहींहै तो क्यों फिरोज़ गांधी गुमनामी के अंधेरे में खो गए। बावजूद इसके कि वो भी एक राजनीतिक शख्स थे। लोकसभा के सांसद थे। लेकिन, उनका नामोनिशान सत्ता के गलियारे तक नहीं है। आख़िर, क्यों। इसकी सबसे बड़ी वजह यह भी हो सकती है, कांग्रेस पार्टी यह बख़ूबी जानती है कि या कहें कि नेहरू परिवार कि गांधी (महात्मा) के उपनाम के मोहजाल से इस देश की जनता का निकलना काफी मुश्किल है, जब तक यह देश भारत रहेगा, गांधी का जलवा बरकरार रहेगा। इसी का फंडा कांग्रेस अपना रही है।
सुन्दर प्रस्तुति ..........
ReplyDeleteहाल में गिरफ़्तार माओवादी विचारक ’कोबद घांदी” वाले ’घांदी’ ही राहुल भी हैं । इस तथ्य को नजरअंदाज कर काफ़ी भ्रम फैलाया जाता है । कुछ लोग तो शिकार होते ही होंगे ।
ReplyDeleteयह हक़ीकत है कि लोग फीरोज़ गान्धी को भूल चुके है ।
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