सबसे बड़ा मीडिया

आजकल हर काम बहुत बड़ा हो रहा है। कोई भी घटना हो रही है, वह देश की सबसे बड़ी घटना ही हैं। हालांकि, इसका पैमाना क्या है, मुझे नहीं मालूम। पर बताया तो कम से कम ऐसा ही जा रहा है। मीडिया में तो यही कुछ चल रहा है। पहले राजधानी का हाइजैक। एक चैनल के लिए यह दुनिया का शायद भारत का सबसे बड़ा ट्रेन हाइजैक था। उसके बाद कल राजस्थान में इंडियन ऑयल डिपों में आग लगी यह भी भारत की कुछ ने तो बताया कि यह दुनिया की सबसे बड़ी आग थी। इस तरह की ख़बरे आजकल देखने और सुनने को मिल रही है। शायद हम सभी भाग्यशाली हैं, हमें दुनिया की बड़ी घटनाओं के गवाह बन रहे हैं। लेकिन, दुर्भाग्य यह कि ये सारे घटना बेहद ही दुखद हैं। भाषा के लिहाज़ से देखें तो कई चैनल यह बता रहे थे कि राजस्थान में आग के बढ़ने की संभावना है। तरस आता है, ऐसे ऐंकरों के भाषा के ज्ञान पर । वे आग बढ़ने पर ख़ुश हो रहे थे या दुखी। दरअसल, संभावना एक सकारात्मक शब्द है। होना तो यह चाहिए था कि इसकी जगह आशंका जताई जाती। लेकिन जो मैं जानता हूं वही सही है। और मैं इसी तरह इसका इस्तेमाल करूंगा। तो करते रहिए। वाक़ई में निराशा होती है.

5 comments:

  1. मीडिया को जिसमें ज्‍यादा विज्ञापन मिले वह सबसे बड़ी घटना। जयपुर में जो भी घटित हो रहा है वह बहुत ही दुखद है। लेकिन मीडिया को ऐसी घटनाओं के समय संयम से काम लेना चाहिए न कि जनता की भावनाओं को उभारकर आक्रोश पैदा करने का काम। इतनी भयंकर आग है, फिर भी कुछ लोग कह रहे हैं कि हमारे कुछ लोग अन्‍दर फंसे हैं, वहाँ कोई भी नहीं जा रहा। ऐसी क्लिपिंगस दिखाकर कुछ मिलता नहीं, बस जनता आक्रोशित होती है।

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  2. आपकी बातें बिल्कुल वाजिब हैं. दरअसल इस काम में बड़े बड़े महारथी लगे हैं, जिनकी असली सूरत छिपी रहती है और नक़ली चेहरा सामने नज़र आता है. ये महज़ भावनाओं और शब्दों के साथ खिलवाड़ है. बाक़ी ये कि आजकल भावनाओं का भी बाज़ार बन गया है देखना यह है कि इसके बाद मीडिया किसे लेकर बाज़ार में उतरती है.

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  3. बिलकुल सही है सम्भावना और आशंका का यह प्रयोग ।

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  4. कुछ नहीं है सब व्‍यंग्‍य की कार में सवार हो गए हैं। चिंतामुक्ति का यही तो एक सरलतम उपाय है।

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