जिन्दगी क्या HAI

बेचैनी और सुकून-ये महज दो शब्द नहीं, बल्कि हमारी जिन्दगी को प्रभावित करने वाले लफ्ज़ हैं। कई बार ये हमारी जिन्दगी को आगे की ओर ले जाते हैं और कई बार पीछे की ओर।
दोनों लफ्ज़ विपरीत छोरों के हैं। इनकी एक साथ मौजूदगी मुमकिन नहीं। हम एक ही समय बेचैनी और सुकून महसूस नहीं कर सकते। हम दोनों के प्रति उलटा रवैया रखते हैं। हमें सुकून चाहिए , बेचैनी नहीं। हम एक के पीछे भागते हैं और हमारा पीछा करता है। सुकून हासिल करने के लिए बेचैनी से निजात चाहिए। ग़ज़ब तो ये है की सुकून की तलाश में हम बचैनी से समझौता करते हैं।

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