. हत्यारों की हक़ीक़त से हारी पुलिस



एक हत्यारा जो कामयाब हो जाता है अपने गुनाह को अंजाम देने मे और पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रहती है पुलिस तक पहुचीं एक ख़बर ही बन जाती है कत्ल की वज़ह .... आख़िर कितने भरोसे लायक है पुलिस।

ख़ूनी, अपने ख़तरनाक इरादों में कामयाब रहा और पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। ये कहानी, बहुत पुरानी है, लेकिन यही करेगी, हत्यारों के नापाक इरादों का, हम आपको बताएंगे, क़ातिलों का कबूलनामा। करेंगे, ग़ुनाहगारों के नापाक मंसूबो का पर्दाफाश। खोलेंगे ग़ुनाहगारों की गुत्थी। और कैसे, पुलिस हरबार की तरह हत्यारों तक पहुँचने में रही नाकामयाब । वहीं अपनी नाकामी से बौखलाई पुलिस दावा कर रही है, वह बहुत जल्द हत्यारों को करेगी बेनक़ाब । गुड़गांव बन चुका है, गुनाहगारों के लिए मुफीद ठिकाना और उनके निशाने पर हैं तमाम हाई-प्रोफाइल लोग। जो वक़्त-बेवक़्त बन जाते हैं इन क़ातिलों के शिकार।

वारदात हुई ऐसी जगह जो राजधानी दिल्ली से महज कुछ ही दूर है। प्रवीण, जो एक बेहद ही महत्वाकांक्षी नौजवान था। बस अपनी ही दुनिया में खोया रहने वाला। जिसकी तमन्ना थी, पूरी दुनिया को अपनी मुट्ठी में करने की। अपने इन्हीं ख़्वाबों को पूरा करने के लिए उसने दिन-रात एक कर दी । जिसकी बदौलत रियल एस्टेट की जेएलएलएम जैसी कंपनी भी सफलता की ऊँचाईयां छूने लगी। फिर क्या था, उसकी ज़िंदगी में तो मानो खुशियों के चार चाँद लग गए । प्रवीण, जिसने अपने ख़्वाबों की हक़ीक़त को पूरा करने के लिए दिन-रात एक कर दी। अब अपनी मज़बूत इरादों की बदौलत वह आसमान की बुलंदियों को छू रहा था। यहाँ तक कि अब उसे दूसरी कंपनियों से भी मोटी रकम की पेशकश होने लगी थी। लेकिन कहीं एक साज़िश थी रची जा रही, कोई कर रहा था उसकी मौत का इंतजार। कहते हैं, जब इंसान कामयाबी की बुलंदियों को छूने लगता है तो, अनजाने में ही अपने आसपास दुश्मनों की एक ऐसी फौज़ तैयार कर लेता है। जो उसकी कामयाबी से परेशान, रचने लगता है गहरी साज़िश। फिर शुरू हो जाता है शह और मात का खेल। और इंसान अपनी कामयाबी में इतना खो जाता है कि हो जाता है उसका काम तमाम। बिछ जाती है बिसात मौत की। शुरू होता है एक ऐसा खेल जिसका पलड़ा झुका होता है क़ातिल की ओर। जिसके एक भी वार का अंजाम होता है, सिर्फ और सिर्फ मौत।
उस रात, प्रवीण भी अपनी कामयाबी का जश्न मनाने के बाद अपनी कार से घर लौट रहा था। उसके हाथ लगा था एक बहुत बड़ा प्रोजेक्ट। वो बेहद खुश नज़र आ रहा था। लेकिन उसे कहाँ मालूम था, ये उसकी आख़िरी रात होगी, खुशी का आख़िरी पल होगा। फ़ोन पर मंगेतर से की गई बात उसकी ज़िदगी की आख़िरी बात होगी और वो पल उसकी ज़िदगी का आख़िरी पल होगा।

प्रवीण की हत्या ने लोगों को झकझोड़ कर रख दिया है। जगह गुड़गांव, इलाक़ा डीएलएफ सिटी। और हत्या की गई एक रियल एस्टेट कंपनी के एसोसिएट मैनेजर की। छह जनवरी की रात। और रात के साये में एक मारूती कार आगे बढ़ रही थी, तभी गूँज उठा डीएलएफ गुड़गांव का यह इलाक़ा गोलियों की आवाज़ से। उस वक़्त प्रवीण अपनी मंगेतर से फोन पर बात कर रहा था। इस आवाज़ से घबराई उसकी मंगेतर ने वजह पूछनी चाही, तभी उसके कानों में एक गुमनाम आवाज़ गूँजती है। प्रवीण का अपहरण कर लिया गया है और इसके पिता से बोलो पचास हज़ार की फिरौती लेकर आए। सेक्टर पाँच में रहने वाले प्रवीण के पिता को यह ख़बर दी गई। और उन्होंने ये ख़बर पुलिस को दी। बस यही एक ग़लती, जिसने ले ली प्रवीण की जान। जी हां, पुलिस को दी गई ख़बर, उन हत्यारों तक भी पहुँच चुकी थी। फिर तो जो होना था वही हुआ। उन दरिंदों ने प्रवीण को गोलियों से भून डाला।और एक पिता अपने बेटे की ज़िदगी से हो गया महरूम । पुलिस की तफ्तीश अभी जारी है। लेकिन एक बात साफ़ है, ये ज़ुर्म की दास्तां बदस्तूर जारी है वो भी पुलिस की नाक के नीचे।


2. ख़तरनाक मंसूबों से कभी परेशान ना हो।
वक़्त खोलेगा हर राज़, तुम हैरान ना हो।।

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