सिक्सर किंग हुए आउट

चैंपियंस ट्रॉफी में अभी भारत का आग़ाज़ भी नहीं हुआ था कि भारतीय टीम नंबर एक पर क़ाबिज़ हो गई। हालांकि, इसके पहले भी वह श्रीलंका के साथ सीरिज़ में चोटी पर पहुंची थी। लेकिन यहां से लुढ़कने में भी उसे एक दिन से अधिक नहीं लगे। वजह प्रदर्शन में निरंतरता की कमी। फिर यहां तो भारत बिना खेले ही किंग बन गया। लेकिन सबसे बड़ी चुनौती तो अब उसके सामने होगी। किस तरह धोनी के रण बांकुड़ें अपनी लाज बचाने में क़ामयाब होते हैं। साउथ अफ़्रीका में ही २०-२० का विश्व चैंपियन जीतने का कारनामा धोनी की सेना ने किया था। लेकिन उस बार के सिक्सर किंग युवराज सिंह चोटिल होकर टीम को मंझधार में छोड़ चुके हैं। शायद गुरु गैरी के सेक्स ज्ञान से टीम इंडिया को कुछ फ़ायदा हो जाए। हालांकि एक बात सोचने वाली है कि पुराने खिलाड़ियों को दोबारा क्यों शामिल किया गया। कहीं ऐसा तो नहीं कि अफ्रीका की तेज़ पीचों पर भारतीय टीम के ताश की पत्तों की तरह भरभरा कर गिरने का डर तो चयनकर्ताओं को नहीं सता रहा था। यही सोचकर उन्होंने द्रविड़ को शामिल तो नहीं किया। हालांकि इसकी संभावना अधिक और आशंका कम है। यदि आप सोच रहे हैं कि पिछली बार की तरह यह यूथ टीम भी कारनामा कर दिखाएगी तो नाहक ही यह खाब मत पालिए। वो २०-२० था यह ५०-५० है। वेस्टइंडीज में २०-२० का हाल तो आपको पता ही है। कहीं हस्र वही तो नहीं होने वाला। एक हिंदुस्तानी होने के नाते मैं तो चाहूंगा कि टीम इंडिया जीत हासिल कतरे। लेकिन डर तो रहता ही है। टीम इंडिया है इसका कोई भरोसा नहीं। युवराज जो खेवनहार हो सकते थे, कलाई की चोट ने भारत की मानों कमर तोड़ दिए। हालांकि सचिन अभी भी जब तक टीम हैं हिम्मत तो नहीं ही हारा जा सकता है। फिर टीम इंडिया के पास तो अब गुरू गैरी का कामसूत्र भी है। कहीं यह ही भारत का बेड़ा पार लगा दे। वैसे भी बॉलिंग में आशीष नेहरा को छोड़ कोई भी गेंदबाज़ फॉर्म में नज़र भी नहीं आ रहा है। कुल मिलाकर भारत का भरोसा चैंपियंस ट्रॉफी में पुराने खिलाड़ियो, सचिन, द्रविड़ और नेहरा के अलावा गुरू गैरी की सेक्सरसाइज पर ही टिकी है.

3 comments:

  1. अरे कोई नहीं, जो हैं वो खेलेंगे।

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  2. जैसे बिल्ली के भाग्य से छीका फूटता है उसी तरह इंडिया फिर रेटिंग में सिरमोर हो गया है अब देखना ये है की ये बादशाहत कब तक बरकरार रहेगी .

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