ख़बर बन रहे हैं अब ख़बरनवीस,
ख़ुद पर बहस कर रहे हैं...
क्या दिखाएं, क्या न दिखाएं,
इस ऊहापोह में फंसे हैं हमारे ख़बरनवीस...
ख़बर बनाते बनाते थक गए
चले हैं अब ख़ुद ख़बर बनने
न कोई राजा न कोई रानी
न स्वर्ग की सीढ़ी और न ही दिखाएंगे हम भूत प्रेत
प्रण कर लिया है ख़बरनवीसों ने
ख़बर बन रहे हैं, ख़बरनवीस
इस बार बदल के रहेंगे
ख़ुद के गिरेबां में झांक के रहेंगे,
फिर भी संभल न सके तो
एकबार फि ख़बर बना देंगे ख़बरनवीस
टूट गया सपना...ख़बरों को दिखाने का,
छूट गया वह दौर जब जमाना था ख़बरों का..
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