महंगाई यानी ग़रीबों पर लगने वाला टैक्स

महंगाई अभी भी कम होने का नाम नहीं ले रही है। जब जब मंत्री साहब इसकी चर्चा करते हैं...यह आसमान छूने लगती है। लेकिन एक बात जो ध्यान देने वाली है....ख़ासकर कांग्रेस को वह यह कि दिल्ली की गद्दी उसे महंगाई के मुद्दे पर ही मिली थी...भाजपा की सरकार प्याज की क़ीमतों को काबू नहीं रख सकी तो लोगों ने भी अपना फ़ैसला सुना दिया...जनता को प्याज की आंसू रूलाने वाली भाजपा की सरकार आज तक सत्ता से बाहर आंसू बहा रही है। यही बात कांग्रेस को ध्यान में रखने की ज़रूरत है...यह सही है कि हाल के चुनावों में लोगों ने जनादेश कांग्रेस पार्टी को दी है, पर इसका यह मतलब कतई नहीं है कि वह सर्वशक्तिमान हो गई है। वह कुछ भी कर सकती है। ज़रूरी चीज़ों के दाम बेतहाशा बढ़ा सकती है...क्योंकि लगता तो कुछ ऐसा ही है...एक के बाद एक वह हर चीज़ों का दाम बढ़ाते जा रही है...चाहे वह दाल की क़ीमत हो या दूध की...दाल के दामों में जहां सौ फ़ीसदी तक का इजाफ़ा हुआ तो आटा का दाम भी दोगुना हुआ...सरकार यहीं तक रूकी...उसने डीटीसी बसों का किराया भी बढ़ाया...पहले जो टिकट सात रुपये में मिला करती थी...वह १५ रुपये की हो गई...अब तो नए साल में दिल्ली की सरकार ने दिल्लीवासियों को पानी की क़ीमत बढ़ाकर एक नया ही तोहफा दिया...यानी सरकार ने एक के बाद एक ऐसे फैसले लिए जिसने आम आदमी की कमर तोड़कर रख दी...ऐसा लगता है आम आदमी का जीना दूभर हो गया है...और सरकार उच्छृंखल हो गई है...सरकार फ़ैसले अपनी मनमर्जी से ले रही है...और फ़ैसले वही ले रही है...जो देश की पचानवे फ़ीसदी आबादी के प्रतिकूल है...सरकार कितनी निष्ठुर और निर्दयी हो गई है, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब राज्यसभा में चीनी की बढ़ती क़ीमतों पर वित्त मंत्री से सवाल पूछा गया तो वह आग बबूला हो गए...और गुस्से में कहा कि मैं किसी के भी किसी सवाल का जवाब नहीं दूंगा...यह है हमारे देश के ज़िम्मेदार वित्त मंत्री का ज़िम्मेदराना रवैया...वह भी तब जब आम आदमी महंगाई के बोझ तले दबती जा रही है...एक बात यहां यह भी सामने आती है कि यदि मद्रास्फिति की दर बढ़ती है अथवा महंगाई बढ़ती है त इसका सीधा असर उन आम लोगों पर पड़ता है, जो इसके लिए कतई ज़िम्मेदार नहीं होते हैं...जबकि संपन्न वर्ग पर इसका कुछ ख़ास असर होता ही नहीं है...इसीलिए महंगाई को यदि ग़रीबोंपर लगने वाला टैक्स कहा जाता है तो इसमें कुछ भी ग़लती नहीं है...
महंगाई का यह आलम तब है, जबकि आर्थिक सुधारों को उन्नीस सौ इक्यानवे में लागू करने वाले वित्तमंत्री आज देश के प्रधानमंत्री हैं...जिस पार्टी का नारा रहा है, कांग्रेस का हाथ, आम आदमी के साथ...उसी कांग्रेस के वित्तमंत्री आम आदमी के मले पर आग बबूला हो रहे हं। आंखें दिका रहे हैं...शायद अभी चुनावों का मौसम नहीं है, तो आम आदमी पर महंगाई का बोझ डाला जा सकता है........

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