2010 में भारत का पहला टेस्ट। सामने बांग्लादेश की फिसड्डी जैसी टीम। फिर भी भारतीय बल्लेबाजों को एक एक रन बनाने के लिए लंबी जद्दोजेहद करनी पड़ी। हालांकि भारत किसी भी तरह मैच जीतने में सफल रहा। लेकिन बांग्लादेश के साथ भारतीय टीम का मुक़ाबला का़फी कुछ कह गया। पर इन सबमें जो सबसे ख़ास बात रही, वह भारतीय टीम के नए भरोसेमंद खिलाड़ी का शतक बनाना। जी हां, बात स़िर्फ टेस्ट मैचों की ही नहीं है। भारतीय टीम का यह खब्बू बल्लेबाज़ क्रिकेट के हर स्वरूप में अव्वल है। चाहे वह एकदिवसीय हो या टी-20। शांत और संयम दिखने वाले गौतम गंभीर पिच पर क़दम रखते ही बल्ले से रनों का अंबार लगाने लगते हैं. तभी तो गंभीर को आजकल भारतीय टीम की नई रन मशीन कहा जाने लगा है. खब्बू बल्लेबाज़ के तौर पर भारतीय टीम में अमिट छाप छोड़ने वाला इस खिलाड़ी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा बोला, तो हर किसी ने कहा कि अब शायद ही भारतीय टीम को गांगुली जैसा बल्लेबाज़ नसीब हो. लेकिन भारतीय टीम को ज़्यादा इंतज़ार नहीं करना पड़ा. गांगुली के संन्यास के बाद एक ऐसा खिलाड़ी उभर कर सामने आया, जिसने न स़िर्फ प्रिंस ऑफ कोलकाता की खाली जगह की भरपाई की, बल्कि ख़ुद को उससे भी बेहतर साबित किया. हम बात कर रहे हैं, टेस्ट रैंकिंग में पहले पायदान पर क़ाबिज़ गौतम गंभीर की. गंभीर ने पिछले दो साल यानी टी २० का विश्वकप जीतने के बाद जो भारतीय टीम के लिए योगदान दिया है...वह काबिलेतारीफ़ है.
गंभीर यानी रन मशीन
भारत बांग्लादेश के साथ दो टेस्ट मौचों की सीरीज़ जीत गया। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि एकदिवसीय सीरीज़ में हमें मात मिली थी। वह भी श्रीलंका के हाथों, जिसे हमने अपने घर में हराया था। लेकिन इन सबके बीच गंभीर एक अहम खिलाड़ी साबित हुए हैं। वह भले ही डॉन ब्रेडमैन का रिकॉर्ड नहीं तोड़ पाए। लेकिन उससे भी ज़्यादा उपलब्धि हासिल कर दिखाया। हालांकि द्रविड़ का जबड़ा टूटने से दुख हुआ। मुमकिन है वह अफ्रीका के साथ होने वाले अहम टेस्ट मुक़ाबले में टीम का हिस्सा न बन पाएं। यूं तो युवराज भी चोट से जूझ रहे हैं।
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sarkar sirf tamasha dekhne ke liye hai
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