समझने के अलग -अलग दायरे

आज हर बात पर बहस शुरू हो जाती है। मै कहता हूँ, मैं सेकुलर हूँ । मेरा दोस्त कहता है मै भी सेकुलर हूँ। हम दोनों एक दूसरे की टांगें खूब खीचते हैं। सेकुलर-सेकुलर खेलते हैं। मेरा दोस्त कहता है तुमने दंगे करवाए , मस्जिद तोडीं। मै कहता हूँ तुमने भी तो दंगे करवाए, लेकिन अन्तर बस इतना है कि तुम अपने अतीत के लिए माफ़ी का ढंग कर बच निकले ,मैंने ऐसा नहीं किया। लेकिन न तुम आम आदमी कि फिक्र करते हो न मैं इंडिया की। मैंने इंडिया शाइनिंग किया , तुमने भारत निर्माण । लेकिन हम दोनों जानते हैं, इससे न तो जनता का भला होता है न ही कल्याण । हम दोनों के रास्ते भले ही अलग-अलग हो लेकिन मंजिल तो एक ही। सत्ता की कुर्सी पर काबिज़ होना। फ़िर मेरा दोस्त कहता है, अगर हम भारत-निर्माण और तुम इंडिया शाइनिंग न खेलो तो सभी को हकीकत मालूम हो जाएगा। इसलिए मेरे दोस्त कभी-कभी हमे एक दूसरे के खिलाफ भी बोलना पड़ता है।
लेकिन हमारी नीति तो एक ही है, हम दोनों अमेरिका अच्छे दोस्त हैं। फिर ये तो करना ही पड़ेगा नही तो तुम्हे न तो हिन्दुओं का वोट मिलेगा और न हमें मुसलामानों का।
तो चलो रहमान को आस्कर मिला है औए चुनाव भी आने वाला है इसलिए दोनों बोलते हैं साथ में
जय हो! जय हो!

1 comment:

  1. it nice comments and compliments on indian pliticals party chandan keep it up dost

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