ढूँढता है दिल जिसे


ढूँढता है दिल जिसे ,
खोया रहता है जिसकी यादों में,
वो चाँद नज़र आया था अरसा पहले।
जब उसकी मुसकुराहटों को देख कर
लगा पहली बार जिन्दगी मुस्कुराई ।
उस निर्मल हृदय की हृदायांगिनी को देखकर लगा था,
जैसे मुकां मिल गया जन्नत का।
वो परियों की रानी दिखा कर एक ख्वाब,
गुम हो गई अनंत भावनाओं के सागर में।
कहाँ ढूंढूं उस मृगमरीचिका को,
जो देती थी प्रेरणा मुझे बुराइयों से लड़ने की।
तब से बेचैन पड़ा
एक खलिश दीदार को ,
काश वो मिले मुझे उस वक्त, जब रहे न खाक
बाकी मेरे निशां की।
तब एहसास होगी उसे भी मेरी गैर मौजूदगी की।
कोई बतायेगा उसे मेरी चाहत की दास्ताँ ,
फ़िर यकीं तो क्या,
हो जायेंगे होश गुम उसके
और होंगे वो हालात और तकदीर से मजबूर।

इस तरह एक सितारे का अंत हो जाएगा ।
एक अधूरी कहानी की तरह॥

1 comment:

  1. काफी अच्छा लिखा है पर कुछ चीज़ों को समझना मुश्किल है मेरे लिए, बहुत अच्छी कोशिश थी तारीफ़ के काबिल.......

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