सोच रहा हूं मैं....


आजकल सोच रहा हूं मैं,
ज़िंदगी कैसे बीत रही है,
क्या कुछ कर रहा हूं मैं,
मैं कुछ करता क्यों नहीं?
आजकल सिर्फ सोच रहा हूं मैं।

ज़िंदगी को बेहद क़रीब से देख रहा हूं
ख़ुद के होने पर पछता रहा हूं मैं,
किसी की तलाश और इंतजार में
बस अपना समय गंवा रहा हूं मैं,
आजकल सोच रहा हूं मैं।

बाबूजी कहते हैं, क्या सोचना भी कोई काम है,
यही सोचकर परेशान हूं,
बस, आजकल सोच रहा हूं मैं।

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