चाहत हमेशा होती है कुछ करने की,
लेकिन कुछ भी करता नहीं,
ललक सबसे आगे बढ़ने की,
पर मैं दौड़ता नहीं,
ये कौन बताए ज़माने को,
कि जीना ही सिर्फ़ मेरा मक़सद नहीं।
कभी- कभी तो ज़िंदगी भी नीरस लगती है,
पर सोचता हूं, उन ख़्वाबों का क्या?
जिन्हें यकीं है पूरा करने की...
सभी को मलूम हैं अपनी मंजिलें
और डगर है अनजान
फिर भी डर नहीं अनजानी राहों पर चलने की।
छोटी की पहली कविता
bahut hi sundar bhaw hai aapake .......badhaaee
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