कुछ इसी तरह का वाक्या आज मुझे देखने को मिला। करगिल विजय के दस साल पूरे होने की खुशी में आज हम विजय दिवस कुछ ख़ास अंदाज़ में मना रहे हैं। ऐसे में एक टीवी चैनल पर काफी युवाओं से इसके बारे में पूछा गया तो वो दिन में ही तारे गिनने लगे। उनसे पूछ गया कि- आप करगिल के बारे में क्या जानते हैं तो उन्हें कुछ नहीं सूझा, फिर पूछा गया कब और क्यों मनाते हैं, तो जवाब में सर पर हाथ रख कर दांत दिखाते हुए जवाब मिला, अ...आ....अ... मालूम नहीं। उन्हीं से एक और सवाल किया गया वैलेल्टाइन डे कब मनाते हैं हम तो जवाब तपाक से मिला- चौदह फरवरी।
बाक़ी आप ख़ुद सोचिए.....मुझे तो भई कुछ नहीं कहना !!!!!!
bilkul sahi kahna hai aapka, hamare yuva hamare desh ke balidan ko bhulte ja rahe hai. Achha lekh
ReplyDeleteभला उन दीवानों को क्या मालूम कि प्रेम आजादी के बाद की चीज होती है !!
ReplyDeleteमालूम तो है लेकिन समझना नहीं चाहते....मेरे ख़्याल से प्रेम में कोई बुराई नहीं है और ना ही कोई वैलेन्टाइन- की मुख़ालफत कर रहा है या करना चाहता है। बात दरअसल ये है कि हम अपनी जिंदगी को कैसे जीते हैं। हमारी प्राथमिकताएं क्या हैं और हम तहजीब को किस नज़रिए से देखते हैं।।.
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