आज दुनिया में पाकिस्तान की छवि एक आतंकवाद के पनाहगाह से कम नहीं है। हममें भी अधिकतर को लगता है कि पाकिस्तान का मतलब आतंकवाद और पाकिस्तानी का आतंकवादी। जबकि ऐसा कतई नहीं है। हां, यह जरूर है कि औसतन पाकिस्तानी आवाम का रूझान मजहबी । मजहब को लेकर उनके दिल में बेइंतहा मोहब्बत है। लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि यही पाकिस्तानी कठमुल्लों के हाथों की कठपुतली नहीं बनना चाहते हैं। यानी वह यह नहीं चाहते कि कोई यह तय करे कि उनकी जिंदगी कैसे चलेगी। वह यह भी नहीं चाहते कि फतवों और रिमोट कंट्रोल के जरिए उन्हें नियंत्रित किया जाए। हाल में पाकिस्तानी टीवी चैनलों पर इस बात को लेकर बहस भी हुई। यह बदलते पाकिस्तान की तस्वीर है। इस टीवी शो की खासियत यह थी कि इस दौरान कई पाकिस्तानी लड़कियां भी मौजूद थीं, तो पाकिस्तानी युवक जींस में नजर आए। हां उनके चेहरे पर दाढ़ी भी थी। यह पाकिस्तानी समाज की नई पीढी है। जो अब अपनी जिंदगी में दूसरों का दखल नहीं चाहते हैं। यही तस्वीर आज से कुछ बरस देखने को नहीं मिलती थी।
सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि हाल में वहां एक सर्वे कराया गया, जिसमें पाकिस्तान की यंग आबादी से यह पूछा गया कि क्या आप पाकिस्तान को एक इस्लामिक मुल्क के तौर पर देखना चाहते हैं? इस सवाल के जवाब में लगभग चौसठ फीसदी लोगों ने इसका समर्थन किया। लेकिन सबसे ताज्जुब की बात यह थी कि इस पोल के दौरान मजहबी दलो को महज तीन फीसदी ही वोट मिले। यानी लोग यह नहीं चाहते कि सरकार में मजहबी कट्टरपंथियों की कोई जगह हो। आज अधिकांश पाकिस्तानी भविष्य को लेकर आशावादी हैं। लोग लोकतांत्रिक शासन चाहते हैं, बजाय सैनिक शासन के। लेकिन इसके बावजूद एक निराशा की भी स्थिति है। वह यह कि करीब 55 फीसदी आबादी यह मानती है कि यदि उन्हें मौका मिला तो वह पाकिस्तान में नहीं रहना चाहेंगे। एक तरह से देखा जाए तो इस स्थिति को पाकिस्तान में बदलने की जरूरत है। आवाम आशान्वित है, पर मुल्क में रहना उन्हें पसंद नहीं है। इसकी वजह सभी को मालूम है. सरकार को भी। कैसे इसे दुरूस्त किया जा सकता है, इसकी तरकीब भी पाक सरकार जानती है। बस एकबार वह कड़ाई से इस पर कदम उठाना शुरू कर दे।
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