किस्सा लोकतंत्र का

यह बेहद ही सुलझी हुई बात है. सभी को मालूम है. यही कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है. लेकिन क्या वास्तव में है? एक भारतीय नागरिक होने के नाते तो कोई भी कहेगा. हां, उसका नज़रिया अलग हो सकता है. कोई इसे तल्खी से कहेगा. किसी को इस बात पर एतराज़ भी हो सकती है. मुझे भी है. एक युवा होने के नाते मुझे भी लगता है कि हम लोकतंत्र का अक्सर मजाक बनते देखते हैं. कभी कभी हम भी उसका हिस्सा होते हैं. विरोध प्रदर्शन हर किसी का अधिकार है. ख़ासकर लोकतांत्रिक मुल्क में. चीन में आपको ऐसा नहीं मिलेगा. कई दूसरे देशों में भी आपको भारत जितनी आज़ादी नहीं मिल सकती है. कई दफ़े अनुभवी और लोकतंत्र के दीमकों से हमें ऐसी बातें सुनने को मिलती है. मैं मानता हूं कि हर सिस्टम की अपनी समस्याएं और सीमाएं होती हैं. इसलिए हमें इसकी बुराई नहीं करनी चाहिए. आलोचना तो कर ही सकते हैं. लेकिन इन सबके बावजूद देखें तो भारत पिछले कई सालों से हिंसा की चपेट में है. नब्बे के दशक में शुरू हुआ यह दौर आज भी बदस्तूर जारी है. एक नहीं कई समस्याएं नज़र आती हैं. ऐसी में कोई कह बैठता है कि नकारात्मक विचार दिल में मत पालो. कई अच्छी चीज़ें भी भारत में हैं. वाकई हैं. लेकिन वह बुराई के तले दबी कुचली रहती है. इतनी अंधेरी गलियां हैं अच्छाई और सच्चाई की कि कोई जाने की हिमाकत ही नहीं कर पाता है. अब तो गौतम बुद्ध भी नहीं हैं, जो ज्ञान की तलाश में राजसी ठाठ बाट को त्याग दें. यहां तो सारा खेल ही कुर्सी का है. हमारे कई नेता तो इसी फिराक में रहते हैं. कैसे भी उन्हें सत्ता की कुर्सी मिल जाए. इसके लिए वह साम-दाम-दंड-भेद सभी कुछ अपनाने के लिए तैयार घूमते रहते हैं. कोई नेता गाय का चारा खा जाता है, तो कई यूरिया खाद ही हजम क जाते हैं. शायद फसलों से ज्यादा इनके पेट में ही अधिक कीड़े हैं. कीड़ा भ्रष्टाचार और घपला का. कई नेता कुएं के मेढ़क की तरह होते हैं. अपने घर से नहीं निकलते और पूरी दुनिया को अपनी अंगुली पर घुमाने की बात करते हैं. जब उनकी राजनीति की दुकान नहीं चलती है तो फिल्मों के ज़रिए राजनीति चमकाने लगते हैं. कुल मिलाकर यही बात कही जा सकती है. भारत एक लोकतांत्रिक देश है.जिसमें विभिन्न जाति, मजहब, भाषा और रंग के लोग रहते हैं. इनमें हरकोई अपनी अभिव्यक्ति का अपना अलग तरीक़ा निकालता है.

3 comments:

  1. hm bas ram ram kar sakte hain

    माननीय ,
    जय हिंद
    महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर यह
    शिवस्त्रोत

    नमामि शमीशान निर्वाण रूपं
    विभुं व्यापकं ब्रम्ह्वेद स्वरूपं
    निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
    चिदाकाश माकाश वासं भजेयम
    निराकार मोंकार मूलं तुरीयं
    गिराज्ञान गोतीत मीशं गिरीशं
    करालं महाकाल कालं कृपालं
    गुणागार संसार पारं नतोहं
    तुषाराद्रि संकाश गौरं गम्भीरं .
    मनोभूति कोटि प्रभा श्री शरीरं
    स्फुरंमौली कल्लो लीनिचार गंगा
    लसद्भाल बालेन्दु कंठे भुजंगा
    चलत्कुण्डलं भू सुनेत्रं विशालं
    प्रसन्नाननम नीलकंठं दयालं
    म्रिगाधीश चर्माम्बरम मुंडमालं
    प्रियम कंकरम सर्व नाथं भजामि
    प्रचंद्म प्रकिष्ट्म प्रगल्भम परेशं
    अखंडम अजम भानु कोटि प्रकाशम
    त्रयः शूल निर्मूलनम शूलपाणीम
    भजेयम भवानी पतिम भावगम्यं
    कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी
    सदा सज्ज्नानंद दाता पुरारी
    चिदानंद संदोह मोहापहारी
    प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी
    न यावत उमानाथ पादार विन्दम
    भजंतीह लोके परे वा नाराणं
    न तावत सुखं शान्ति संताप नाशं
    प्रभो पाहि आपन्न मामीश शम्भो .

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  2. ऐसा लोकतन्त्र भी किस काम का जो देश को तोडने वाले स्वरों को दबा न सके।ौर किसी ताकतबर के या नेता के खिलाफ बोलने वाले को कुचल दे इसे लोक तन्त्र कैसे कह सकते हैं।

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  3. अपना अपना हिस्सा ले जाइये क्योंकि आप भी इस देश के जिम्मेदार नागरिक हैं और आपका हक है हिस्सा बांटने का.

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