पहले बाय-बाय ब्राजील। अब अलिवदा अर्जेंटीना। विश्वकप में ब्राजील की हार ने क्या कम गम दिए, जो अब अर्जेंटीना ने जले पर नमक छिड़क दिया। कल भी मैंने कहा था, माराडोना मुझे पसंद नहीं हैं। पर, मेसी के लिए अर्जेंटीना को सपोर्ट किया। अब, वह भी खिताबी दौर के क्वार्टरफाइनल से ही बाहर हो गया। मेसी-डोना का जादू नहीं चला। ऑक्टोपस बाबा ने भी जर्मनी के जीतने की भविष्यवाणी की थी। मैं इन भविष्यवाणी पर कभी थोड़ा सा भी यकीन नहीं करता। जर्मनी के जीत जाने पर भी नहीं कर रह हूं। मैच के तीसरे मिनट में ही मुलर ने गोल दाग अपने इरादे जता दिए। हालांकि, मैच में अधिकांश समय अर्जेंटीना हावी रही। गेंद उसके पाले में ही रही। वह जर्मनी टीम की डी में ही मंडराती रही। फिर भी एक गोल नहीं दाग सके कोई अर्जेंटीनाई खिलाड़ी। गोल के 20 मौके मिले, नतीजा-जीरो। वहीं, जर्मनी को 18 उसने चार को गोल में तब्दील किया। क्लोस ने तो कमाल ही कर दिया। दो गोल दाग बता दिया कि वह जर्मनी के लिए क्यों सबसे खास हैं। इस मैच से सबसे ज्यादा खुशी जर्मन चांसलर हुई होंगी। क्योंकि जो बिल क्लिंटन को नसीब नहीं हुआ, वह उन्हें हो गया। क्लिंटन भी अमेरिका का मैच देकने पहुंचे, लेकिन उनकी टीम ने उन्हें खुश होने का अवसर नहीं दिया। यहां मर्केल तो हर गोल के साथ उछलती नजर आ रही थीं। मैच का नायक तो मैं जर्मन के गोलची को करार दूंगा, जिसने अर्जेंटीना के बीस हमलों में से एक को भी सफल नहीं होने दिया। मेस से लेकर त्वेज सभी ने बेइंतहा कोशिश किए, पर हर बार उन्हें नाकामी हाथ लगी। दिल से इस मैच में अर्जेंटीना के साथ था, पर दिमाग कह रहा था जर्मनी जीतेगी। वहीं हुआ। पर, इतने भारी अंतर से वह माराडोना की टीम को धोएगी अंदाजा नहीं था। बेशक, कोच माराडोना इस हार से सबसे ज्यादा आहत हुए होंगे। हमारे एक सर बार-बार कह रहे थे, जर्मनी जीतेगी। मुझे कतई यकीन नहीं था। पर, जैसे ही तीसरे मिनट में अर्जेंटीना गोल खाई, उसेक हारने का डर सताने लगा। लेकिन उसके ताबड़तोड़ जवाबी हमले से लगा, यह माराडोना की टाम है। गॉड ऑफ हैंड के शेर हैं, जल्द ही इस बढ़त को पाट देंगे। लेकिन, घड़ी की सूई के साथ-साथ उनके खिलाफ गोल का अंतर बढ़ता गया। उसके जीतने की उम्मीदें धूमिल होती गई। यही फुटबॉल का रोमांस और रोमांच है। अब मेरी नजर स्पेन पर है। डेविड विला से चमत्कार की उम्मीद है। विला के ‘विल-पावर’ की जरूरत तो स्पेन को भी होगी। पुर्तगाल के खिलाफ वाले फॉर्म को ही उनके प्रशंसक देखना पसंद करेंगे। मेरी तमन्ना तो उससे भी ज्यादा की है। तो दोस्तों स्टे विथ स्पेन एंड विश फॉर विला।
अरे चन्दन बाबू मज़ा आ गया पढ़कर .....लेकिन मैं जर्मनी के साथ जम गया हूँ ......और मुलर के साथ मिल गया हूँ ...गुड लक फॉर स्पेन ................
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