सावन से पहले की बारिश

सावन का महीना आने वाला है। बारिश अषाढ़ में ही झमाझम होने लगी है। ऐसे लग रहा है, अभी ही कजरी गाने के दिन आ गए हैं। चौपालों में आल्हा गाने का मौसम आ गया है। जंगलों में मोर के नाचने और घरों के बाहर, नदी-नालों में मेढकों के टर्राने के दिन आ गए हैं। सूखी बदरंग धरती पर जगह-जगह हरी-हरी घास दिखने लगे हैं। मानो किसी फटे कपड़े पर पैबंद लगा हो। हालांकि, भारत के कई भागों में बाढ़ की स्थिति है। पंजाब दिल्ली से कट गया है। असम यानी पूरे पर्वोत्तर में पिछले महीने से ही बारिश अभिशाप बना हुआ है। पर्यावरण के जानकार हर साल बारिश कम होने की चेतावनी देते हैं। बारिश उतनी ही हर साल ज्यादा होती है। उन्हें धता बताती है, जैसे उनका मुंह चिढ़ा रही हो। तुम कौन होते हो मेरे बारे में कुछ कहने वाले। अधिक बारिश से कुछ इलाकों में मजा किरकिर हुआ है। लेकिन, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यदि मुंबई, दिल्ली और कई जगहों पर बारिश से बाढ़ का सामना करना पड़ता है तो यह हमारी सरकार की कमजोरी और निठल्लेपन की वजह से। बारिश की मार एक बात है, निठल्लापन दूसरी। भारत में यह समस्या सरकार की सुस्ती से ज्यादा आती है।

1 comment:

  1. सच कहा....जब मालूम है पहले से कि बारिश होगी तो तैयारी क्यूँ नहीं कर सकती सरकार...

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