गऊ होता है उंगलीबाज

आजकल एक विचित्र तरह का प्रचलन बन-चल पड़ा है। विरोध के नाम पर विरोध करना। मुद्दों के आधार पर नहीं, बल्कि वह कुछ भी कहे, मुझे उसकी हर बात काटनी है। मसला चाहे कोई भी हो, उसकी हर बात में  उंगली करनी है। कुछ दिनों पहले कहीं ब्लॉग पर ही पढ़ा था, इस तरह के लोगों को उंगलीबाज कहते हैं। ब्लॉगर भाई साहब इस तरह के प्राणी का बहुत ही मनोरम वर्णन किया था। काफी दिनों बाद मुझे उनकी याद आई और उससे अधिक उनके उंगलीबाज। इस तरह के लोग बात-बात में मिनमेख निकालकार उसका फलूदा निकालते हैं। इस तरह के लोगों से बचने की बहुत ज्यादा जरूरत होती है। वजह यह कि भाई लोग बड़े ही शातिर और तिलिस्मी प्रतिभा से भरे होते हैं। इनकी विद्वता का लोहा हर कोई मानता है, ज्ञान का नगारा चौतरफा सुनाई पड़ता है। हालांकि, आम लोग इन्हें सुपिरियरिटी कॉम्प्लेक्स से ग्रसित भी बताते हैं। इनकी इस बीमारी का स्तर उनके कुंठित होने के पैमाने से मापा जाता है। यह जितना अधिक होगा, उंगलीबाज की हरकतें भी उतनी ज्यादा बढ़ती जाती है। वह बेतरतीब सा अपनी ही दुनिया में मगन रहता है। लेकिन इनको झेलना उतना ही मुश्किल होता है, जितना मरखाह गाय को खूंटे से बांधना। मतलब समझ ही गए होंगे। वैसे गाय सबसे मासूम जीव है, ऐसा लोग कहते हैं, तो मैं भी मान लेता हूं। उसके जैसा सीधा-साधा और भोला-भाला जीव कोई नहीं। पर, यह भई लोग कहते हैं कि सीधा-साधा और भोला-भाला अपने रंग में रंगता है तो वह सांड़ से भी खतरनाक बन जाता है। इसलिए उसे लोग मरखाह गाय भी कह देते हैं। दूसरी बात यह कि अक्सर कामकाजी महिलाओं को भी गऊ यानी गाय मान लिया जाता है, क्योंकि वह सारा काम बिना कुछ पूछे-रुठे या फिर बिना विरोध के चुपचाप कर लेती है। यहां तक कि अपनी गलती न होने पर पति का मार भी खा लेती है। हालांकि, कुछ कहानी इसके ठीक उलट भी होती है। पर, ऐसा कम ही होता है। अपवाद की तरह। लेकिन, उंगलीबाज के बारे में कोई अपवाद काम नहीं करता है। वह आपको  इतना परेशान करता है कि आप अक्सर तनाव में रहने लगते हैं। उसकी संगति से आप इन चीजों से लाभान्वित होते हैं। मसलन ब्लडप्रेशर, तनाव, क्रोध, खीझ, चिड़चिड़ापन आदि। आत्ममुग्ध इस महामानव की एक खासियत यह भी होती है कि वह आपको बार-बार एहसास दिलाता रहता है कि आर कितने निकम्मे हैं और वह काबिल। उसे अपनी मार्केटिंग भी अच्छी तरह से करने आती है। वह जहां जाता है या तो सबकी आंखों का तारा बन जाता है या आंखों की किरकिरी। सबसे जरूरी सूचना यह कि इन्हें पहचानना जितना आसान है, उतना मुश्किल भी। बस अनुभवी और पारखी नजर वाले ही इस तरह के विभूतियों को पहचान पाने में सक्षम होते हैं। इसलिए, बंधु आपको इस तरह के चरित्र वाले कुछ अद्भुत प्राणी मिलें तो क्या करना है यह आप खुद तय कीजिए....क्योंकि वक्त के साथ-साथ ये अपना चाल-चिरत्र-चेहरा और चिंतन बदलते रहते हैं।

2 comments:

  1. ऐसे लोगों से बचने का एक ही उपाय है इनसे दूर रहा जाय...

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  2. बहुत सुन्दर व्यंग। वाह।

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