वैलेन्टान डे १४ फरवरी, करगिल मालूम नहीं..

आज विजय दिवस है। करगिल फतह का दिन। हमारे सैकड़ों जवानों ने अपनी कुर्बानी से हमें महफूज किया। लेकिन हम शायद उनके बलिदान की अहमियत को समझने की कोशिश भी नहीं करते। कहते हैं, आज ग्लोब्लाइजेशन का जमाना है। कोई भी चीज हमारी पहुंच से दूर नहीं है। पूरी दुनिया ने एक गांव की शक्ल अख़्तियार कर ली है। इस मायने में कि कोई भी सूचना, जानकारी हमारी अंगुलियों पर घूमती है। लेकिन, आज हम यूथ अपनी आज़ादी के नाम पर कुछ भी करने की छूट तो मांगते हैं, एक गांव, ग़रीब का नौजवान सेना में भर्ती होकर अपनी जान गंवा कर हमारी रक्षा तो करता है, लेकिन बदले में हम उसे याद भी नहीं रखना चाहते।
कुछ इसी तरह का वाक्या आज मुझे देखने को मिला। करगिल विजय के दस साल पूरे होने की खुशी में आज हम विजय दिवस कुछ ख़ास अंदाज़ में मना रहे हैं। ऐसे में एक टीवी चैनल पर काफी युवाओं से इसके बारे में पूछा गया तो वो दिन में ही तारे गिनने लगे। उनसे पूछ गया कि- आप करगिल के बारे में क्या जानते हैं तो उन्हें कुछ नहीं सूझा, फिर पूछा गया कब और क्यों मनाते हैं, तो जवाब में सर पर हाथ रख कर दांत दिखाते हुए जवाब मिला, अ...आ....अ... मालूम नहीं। उन्हीं से एक और सवाल किया गया वैलेल्टाइन डे कब मनाते हैं हम तो जवाब तपाक से मिला- चौदह फरवरी।

बाक़ी आप ख़ुद सोचिए.....मुझे तो भई कुछ नहीं कहना !!!!!!

3 comments:

  1. bilkul sahi kahna hai aapka, hamare yuva hamare desh ke balidan ko bhulte ja rahe hai. Achha lekh

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  2. भला उन दीवानों को क्‍या मालूम कि प्रेम आजादी के बाद की चीज होती है !!

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  3. मालूम तो है लेकिन समझना नहीं चाहते....मेरे ख़्याल से प्रेम में कोई बुराई नहीं है और ना ही कोई वैलेन्टाइन- की मुख़ालफत कर रहा है या करना चाहता है। बात दरअसल ये है कि हम अपनी जिंदगी को कैसे जीते हैं। हमारी प्राथमिकताएं क्या हैं और हम तहजीब को किस नज़रिए से देखते हैं।।.

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