बारिश की बोरियत का भी मज़ा है
ये बेहद ही ख़ूबसूरत नज़ारा है, बारिश के बाद की दिल्ली की, जो मुझे काफी अच्छी लगी। य़दि बारिश नहीं होती तो राहुल गांधी मेट्रो से सफर नहीं करते। यही फर्क है बारिश के होने का। हम हर बारिश के बाद सीएम साहिबा को कोसने लगते हैं, कहने लगते है पानी निकासी की कोई व्यवस्था ही नहीं है, निकम्मी हो गई है सरकार। मुझे लगता है और साथ इत्तेफाक़ से मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को भी कि बारिश होगी तो जाम तो लगेगा ही। अब इसमें कोई क्या कर लेगा ? लेकिन इन सबसे अलग आपको इस तस्वीर को देख कर ख़ूबसूरती का एहसास नहीं हो रहा ? मुझे इस खूबसूरती का एहसास करने के लिए बारखम्बा मेट्रो से लाजपत नगर तक पैदल आना पड़ा। आपको लग रहा होगा ये क्या पागलपन है, इतनी दूर पैदल चलने क्या ज़रूरत थी ? लेकिन मैं आपको बता दूं, फिर भी मैं रैश ड्राइविंग करने वाले सारे बस वालों, बीएमडब्ल्यू की रफ्तार इन सबसे आगे था। हालांकि तक़रीबन तीन घंटे में मैंने ये दूरी पैदल चलकर तय की थी। सही में दिल्ली की बारिश का सही लुत्फ तो इसी दिन मैंने उठाई। ऐसा लग रहा था मानो हर चीज़ यहां कितनी ख़ामोश है, बेजान, फीकी वर्षों गुजर जाते हैं यूं ही, कुछ पता नहीं चलता हफ्ते और दिन बड़ी मुश्किल से कटते हैं, और सिर्फ ऊब ही है इनका सिलसिला। लेकिन कल कुछ ऐसा नहीं लग रहा था। सारी चीज़े अपनी जगह थीं पर बेजान और ख़ामोश नहीं, शायद नहीं। वाकई बहुत मज़ा आया कल की बारिश का बहुत सुकून मिला गाड़ियों की लंबी कतारें देखकर।
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अच्छा है भाई बारिश का मजा अकेले-अकेले बातये होते हम भी चलते।
ReplyDeleteचलिये, बारिश हुई तो!
ReplyDeleteसुन्दर-
ReplyDeleteबहुत आभार.
श्री गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभ कामनाएं-
आपका शुभ हो, मंगल हो, कल्याण हो |
बढ़िया लिखा है आपने! तस्वीर तो गज़ब की ली है आपने! बारीश में खूब मज़े कीजिये!
ReplyDeleteमेरे नए ब्लॉग पर आपका स्वागत है -
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com