कि बस न मिलेगा सुकुन मेरे रूह को
ऐसा एहसास था, पता नहीं क्यूं
शायद मैं क़ाबिल नहीं तुम्हारे....
फिर भी, सासों की खुशबू ही काफी है,
तुम्हारे एहसास के लिए।
तुम्हारे एहसास के लिए।
दिल की हर धड़कन के साथ तड़पता हूं,
अब तो बस तेरी यादों के साये में,
जीता हूं न मरता हूं...
हरपल एक कशिश को सीने से लगाए रहता हूं।
हरपल एक कशिश को सीने से लगाए रहता हूं।
इबारत क्यों भला उस ख़ुदा की,
माना पनाह दी है, ज़िदगी तो नहीं,
गर ज़िंदगी दी तो मक़सद तो नहीं,
आज रूकसत कर रहा हूं,
अपने हबीब को, ये सोचकर...
शायद जिंदगी ने यही फ़ैसला किया है,
मेरी तन्हाइयों के लिए........
वाह भाई वाह बहुत अच्छे भाव हैं। लाजवाब रचना। बधाई
ReplyDeleteधन्यवाद मिथिलेश भाई............
ReplyDeleteआज रूकसत कर रहा हूं,
ReplyDeleteअपने हबीब को, ये सोचकर...
शायद जिंदगी ने यही फ़ैसला किया है,
मेरी तन्हाइयों के लिए........
sach behtarin,bahut hi gehre bhav hai,kuch zindagi ke faisle shayad achhe ke liye hote hai.sunder rachana badhai
अपनी तन्हाई से बाहर निकल कर देखिये ...खुदा की इबादत करने को सैकडों वजहें निकल आयेंगी ..!!
ReplyDeletebahut bahut shukriya mehekji
ReplyDeleteji vani ji bas usi talash me laga hu
ReplyDeleteना खुदाने सताया...
ReplyDeleteना खुदाने सताया
ना मौतने रुलाया
रुलाया तो ज़िन्दगीने
माराभी उसीने
ना शिकवा खुदासे
ना गिला मौतसे
थोडासा रेहेम माँगा
तो वो जिन्दगीसे
वही ज़िद करती है,
जीनेपे अमादाभी
वही करती है...
मौत तो राहत है,
वो पलके चूमके
गेहेरी नींद सुलाती है
ये तो ज़िंदगी है,
जो नींदे चुराती है
पर शिकायतसे भी
डरती हूँ उसकी,
गर कहीँ सुनले,
पलटके एक ऐसा
तमाचा जड़ दे
ना जीनेके काबिल रखे
ना मरनेकी इजाज़त दे....
शमा
Behad sundar rachna hai aapki..,aapke liye meree ye,tuchh-see rachna pesh kar rahee hun..
http://shamasansmaran.blogspot.com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
http://shama-kahanee.blogspot.com
http://shama-baagwaanee.blogspot.com
बहुत-2 शुक्रिया शमाजी
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना !!
ReplyDeleteधन्यवाद संगीता जी...................बहुत-2 धन्यवाद
ReplyDeletebahut hi badiya likha hai chandan.......mann khus kar diya tumne to..
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