सब करते हैं मोहब्बत दुनिया में,
जो तुम कर बैठे तो क्या?
मंझधार में अक्सर डूब जाती हैं कश्तियां ,
जो तुम डूब गए तो क्या,
यूं तो हबीब पसंद है दुनिया,
तुम्हे कुछ रकीब मिल गए तो क्या?
इश्क सभी करते हैं, तुमने भी की।
दर्द सभी झेलते हैं इश्क में,
तड़प और बेचैनी में गुजरता है हरएक पल,
अब पूछते हो खता क्या है?
तो सुनो।
इश्क के बाजार में निकले थे तुम अकेले,
बड़ी मुश्किल से मिली तुम्हें तुम्हारी तन्हाई,
पर तन्हाई से भी एक तरफा प्यार?
अब आगे क्या बताऊं.....
बहुत खूब भाई...
ReplyDeleteइतनी जनसंख्या है देश की फिर भी तन्हाई...गुड.
आलोक साहिल
बहुत सुन्दर जी!
ReplyDeleteबधाई!
इश्क के बाजार में निकले थे तुम अकेले,
ReplyDeleteबड़ी मुश्किल से मिली तुम्हें तुम्हारी तन्हाई,
पर तन्हाई से भी एक तरफा प्यार?
अब आगे क्या बताऊं.....
बहुत बढिया !!
अर भाई आबादी बढ़ने सेतोड़े कुछ होता है..किसी ने क्याखूब कहा है इस विषय में...
ReplyDeleteहर तरफ हर जगह बेशुमार आदमी
फिरभी तन्हाइयों का शिकार आदमी,
सुबह से शाम तक बोझ ढोता हुआ,
अपनी ही लाश का खुद मजार आदमी............
बहुत सुन्दर जी!
ReplyDeleteबधाई!
किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।
ReplyDeleteसही जा रहे हो गुरु
ReplyDeleteतड़प और बेचैनी में गुजरता है हरएक पल
ReplyDeletewow achi rachan he
aap ko badhai
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
khoob kaha janab..good keep it up.
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