खेलों को मनोरंजन के लिए खेला जाता है। पर इस खेल पर भी राजनीतिक खेल शुरू हो चुका है। आईपीएल अपनी शुरुआत से ही दौलत का खेल बन चुका है। लेकिन अब नेताओं और फिल्मी सितारों ने इसे पैसा कमाने का पेशा बना लिया है। हम अन्य खेलों को वैसे ही भूल चुके हैं, जैसे हम बीमारी,गरीब़ी,अशिक्षा,बेकारी,भ्रष्टाचार,नक्सलवाद और आतंकवाद को भूल गए। आईपीएल निश्चित तौर पर पैसे का ही खेल है। यहां खराब से खराब खेलने वाला भी एक सीज़न में 40 लाख रु. की कमाई कर रहा है. वो भी ऐसे में जब भारत की 35 फ़ीसदी आबादी को दो जून की रोटी भी मयस्सर नहीं। हाल में नक्सलियों ने 76 जवानों को मौत के घाट उतार दुया। पर अब कोई भी चिदंबरम के सामने अपना माइक नहीं घुसेड़ रहा है। कहां तो इस्तीफे की पेशकश चिदंबरम ने की थी। पर अब देना पड़ रहा है थरूर को। अमेरिकी बेस बॉल चीयर लीडर्स की तर्ज़ पर खेल के दौरान मैदान में कम से कम कपड़े पहन कर लड़कियों के नाचने का कई जगहों पर विरोध हुआ. कहा गया कि ये भारतीय संस्कृति के ख़िलाफ़ है। अब तो आरोप यह भी लग रहे हैं कि आईपीएल के जरिए सारा काला पैसा सफेद किया जा रहा है। पहले एनजीओ के जरिए यह काम होता था। पर उसकी साख पर भी बट्टा लग चुका है। इसलिए यह नया तरीका निकाला गया। इस पूरे प्रकरण में शशि थरूर के शामिल होने पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। वह कोई पहले नेता नहीं हैं, जो इस तरह से इस खेल में सामिल हैं। हां इतना जरूर है कि जिसकी चोरी पकड़ी जाती है, वही चोर कहलाता है। और, थरूर की चोरी पकड़ी गई है। वह खुलेआम डाका करने निकले थे। नतीजतन उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। एक बात और है कि दो दिन पहले तक ललित मोदी खूब सुर्खियों में रहे। फिलहाल वह पर्दे के पीछ हो गए हैं। दरअसल सारे प्रकरण से एक बात सामने आती है वह यह कि हम नौटंकी और सोप ओपेरा के ज़माने में रह रहे हैं और यहाँ कोई बात तब तक सच नहीं है जब तक कि टेलीविज़न उस पर अपनी मुहर नहीं लगा देते। जैसे ही ललित मोदी ने शशि थरूर पर हमला बोला मीडिया ने भी अपनी भाषा तुरंत बदल दी। आखिर इसकी वजह क्या है? यह भी सोचने का विषय है। करोड़ों का यह खेल चैनलों को अभ भी टीआरपी दे रहा है। पर मैच के लिए नहीं, बल्कि खबरों के लिए।
खबरों का जमाना है..सनसनीखेज!
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