दिल उदास है, लब खामोश
जिंदगी में कहीं उम्मीद अभी बाकी है,
अब अपनी गुस्ताखियों पर भी ऐतराज़ होता है,
छोड़कर सभी मुझे बेगाना समझने लगे,
ज़रा कोई बताये तो हमारी खता,
कि बरसों चाहने का सिला क्या होता है,
क्या होता है जब उनकी याद आती है
और मन मसोसकर रह जाता है
छोड़कर दुनिया खुद को भुला नहीं सकता,
शायद ऐसी बदनामी से जीना उनकों नहीं पसंद,
हर पल गिरतें है पत्तें साख से,
मझदार में छोड़ने के लिए।
हर बार अधूरा रहता है सफ़र जिंदगी का,
कभी तो सहारा मिले उस कश्ती को,
जिसे हमेशा तलाश है किनारे की।
waah bahut khoob
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