आज जीवन जीने वाला,
कितनी बार मरता है,
हर पल जीने से पहले,
वह कई मर्तबा मरता है
मरने की सोचना आज नियति है,
जीना बस एक झूठा सपना है,
हर सपना रात के अँधेरे में,
एक नयी उम्मीद जगाता है,
सुबह सपना भी टूट जाता है,
टूटना सपने की नियति है,
ठीक उसी तरह जैसे,
जीने के बीच मरना नियति है।
इसी उधेड़बुन में हमारी जिंदगी,
कहीं पीछे छूट जाती है।
कितनी बार मरता है,
हर पल जीने से पहले,
वह कई मर्तबा मरता है
मरने की सोचना आज नियति है,
जीना बस एक झूठा सपना है,
हर सपना रात के अँधेरे में,
एक नयी उम्मीद जगाता है,
सुबह सपना भी टूट जाता है,
टूटना सपने की नियति है,
ठीक उसी तरह जैसे,
जीने के बीच मरना नियति है।
इसी उधेड़बुन में हमारी जिंदगी,
कहीं पीछे छूट जाती है।
मरने से पहले मरते सौ बार हम जहाँ में
ReplyDeleteचाहत बिना भी सच का पड़ता गला दबाना
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
ek dam sahi baat kahi.
ReplyDeleteacchhi rachna.
aap vahi chandan kr. ji to nahi jo mere orkut profile list me hai?
ठीक उसी तरह जैसे,
ReplyDeleteजीने के बीच मरना नियति है।
इसी उधेड़बुन में हमारी जिंदगी,
कहीं पीछे छूट जाती है।
बहुत उम्दा भाव।
dhanyawad anamika ji... aapne meri kavita ko saraha.
ReplyDeletemaafi chahunga but, sorry mai aapke orkut profile me nahin hu
बहुत बढ़िया चंदन भाई!! बधाई.
ReplyDeleteBAHUT KHUB
ReplyDeleteBADHAI AAP KO IS KE LIYE
यही जीवन है ।
ReplyDeletethanx aap sabke support aur hauslaafzayee ke liye....
ReplyDelete