इतालवी माफिया सेत्तिमो मिनेयो |
ख़ैर, कहानी फिल्मी हो उससे पहले लौटते हैं अपने असल
मुद्दे पर। हम सभी जानते हैं कि आज पूरी दुनिया कोरोना महामारी की गिरफ्त में है। दुनिया
भर में ढाई लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। मौतों का सिलसिला सबसे पहले तेजी
से यूरोप के इटली में बढ़ना शुरू हुआ। जैसे-जैसे कोरोना का संकट यहां बढ़ता गया संगठित
गैंग और माफिया ने अपने वर्चस्व का खेल भी शुरू कर दिया। माफिया यहां जरूरतमंदों के
घरों तक खाना पहुंचा रहा है, तो लोगों को पैसे से मदद भी कर रहा है। लोगों को
अच्छी तरह पता है कि माफिया की मदद लेना सही नहीं है। उन्हें इसकी भारी कीमत भी
चुकानी पड़ सकती है। लेकिन, इटली में संकट बड़ा है। लाखों लोगों की नौकरियां जा
चुकी हैं। छोटे-मोटे काम करने वाले या भारत की तरह दिहाड़ी मजदूरी की तरह काम करने
वालों का रोजगार पूरी तरह चौपट हो चुका है। उनके सामने भूखे मरने की नौबत तक आ
चुकी है। ऐसे में उन्हें ‘द गॉडफादर’ फिल्म के डायलॉग ‘I’m going to make him an offer he can’t refuse.’ की तरह माफिया के ऑफर
को ठुकरा नहीं सकते। एक तो लोगों की मजबूरी सबसे बड़ी और दूसरी तरफ मना किसे करना
है, उसका जोखिम भी नहीं ले सकते।
सिसली में लोगों की मजबूरी का आलम यह है कि खुद कुख्यात
माफिया फैमिली का एक सदस्य कहता है, ‘लोग मुझे फोन करते हैं। वे फोन पर रोते हैं। मुझे कहते हैं कि उनके बच्चों के पास
खाने के लिए कुछ भी नहीं है। एक महिला मुझे हर दिन बुलाती है। उसके पांच बच्चे हैं
और उसे पता नहीं है कि बच्चों को कैसे खिलाना है?’
माफिया परिवार का यह सदस्य कहता है कि अगर ग़रीबों
और जरूरतमंदों को खाना खिलाना माफिया कहलवाना है, तो उसे माफिया होने पर गर्व है।
दरअसल, कोरोना वायरस तो नया है, लेकिन सिसली में
जरूरतमंदों को खाने का पार्सल बांटना यहां की माफिया फैमिली की पुरानी रणनीति रही है।
सिसली की खुफिया एजेंसी और सरकारी मशीनरी में ऊंचे ओहदे पर काबिज निकोला ग्रेटरी कहते
हैं कि माफिया का मकसद लोगों की बीच अपनी विश्वसनीयता और साख को हासिल करना है। माफिया
खुद को यहां सरकार के विकल्प के रूप में पेश करता आया है और वह इस संकट में लोगों
की मदद करके अपनी स्थिति और मजबूत करना चाहता है। वह चाहता है कि लोग सरकार की जगह
उनकी ओर विकल्प के रूप में देखें। ऐसा हो भी रहा है, क्योंकि इन इलाकों तक सरकार
की मदद पहुंच नहीं रहा है। इटली में पिछले कुछ वर्षों में बेरोजगारी दर काफी बढ़ी
है। अर्थव्यवस्था की हालत पहले से डंवाडोल है और मौजूदा कोरोना संकट ने उसकी कमर
तोड़ दी है। लॉकडाउन की वजह से लोग घरों में रहने को मजबूर हैं। ऐसे में उन्हें जो
भी थोड़ी-बहुत कहीं से भी भले ही माफिया से मदद मिल रही है, वे ले रहे हैं।
हालांकि, एंटी माफिया संगठन के लिए काम करने वाले एक शख्स का कहना है, ‘यह बात लोगों को भी
पता है कि खतरनाक है। उन्हें मालूम है कि यह कुछ वैसा ही है कि अगर तुम मेरी पीठ
खुजलाते हो तो मैं तुम्हारी खुजलाऊंगा। यानी मदद एक तरफा नहीं है।’
वह बतलाते हैं कि शुरू में तो माफिया इन छोटी-छोटी
मदद के बदले कुछ नहीं मांगते हैं। लेकिन सभी को किसी-न-किसी रूप में इसकी कीमत
चुकानी ही पड़ती है। उदाहरण के तौर पर, सिसली के पालेर्मो में रहने वाले एक
व्यक्ति मार्सेलो को अपना रेस्तरां बंद करना था। उसे माफिया से ऑफऱ मिला, जिसे वह
इनकार नहीं कर सका। कुछ पैसे उसके अकाउंट में डाले गए और कुछ कैश में दिए गए।
मार्सेलो बताते हैं कि बाद यही माफिया आपसे वसूली भी करते हैं।
इसका एक उदाहरण यह भी है कि जब स्थानीय चुनाव होते
हैं, तो माफिया फैमिली के लोग उन लोगों के पास जाते हैं, जिनकी उन्होंने मदद की
होती है। फिर उनके बीच बातचीत कुछ इस तरह शुरू होती है, ‘क्या मैं तुम्हे याद हूं? जब तुम्हें जरूरत थी तो मैंने तुम्हारी मदद की थी।
और अब मुझे तुम्हारी मदद की जरूरत है।’ फिर वे अपने उम्मीदवार के पक्ष में वोट डालने का दबाव बनाते हैं, जिसे लोग
मना नहीं कर सकते। मार्सेलो बताते हैं कि सिसली में माफिया सरकार से कई गुना अधिक
प्रभावशाली है। संकट के समय में वह हमेशा लोगों की मदद के लिए पैसे के दरवाजे खोल
देता है। सरकार कहीं पीछे छूट जाती है या जब तक सरकार की मदद पहुंचती है, उसका कोई
मतलब नहीं रह जाता है।
कुछ इस तरह इटली में माफिया सरकार की नाकामी का
फायदा अपना वर्चस्व मजबूत करने में अपनी रॉबिनहुड छवि को भुना रहा है।
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